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मोसवाल जाति का इतिहास
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कुटुम्ब भर का इस प्रकार स्मारक चिहपनाने का काम यहां के किसी दूसरे पुरुष ने नहीं किया। यह मन्दिर शोभनदेव नाम के शिल्पी ने बनाया था। मुसलमानों ने इसको भी तोड़ डाला जिससे इसका जीर्णोद्धार पेथड (पीथड) नाम के संघपति ने करवाया था। जीर्णोद्धार का लेख एक स्तम्भ पर खुदा हुआ है परन्तु इसमें संवत् नहीं दिया है। वस्तुपाल के मन्दिर से थोडे अंतर पर भीमशाह का, जिस को लोग भैसाशाह कहते हैं, बनवाया हुए मन्दिर है जिसमें १०८ मन की पीतल की सर्वधातु की बनी हुई आदिनाथ की मूर्ति है जो वि० सं० १५२५ के ( ई० सर १६९ ) फाल्गुन सुदी • को गुर्जर श्रीमाल जाति के मंत्री मण्डल के पुत्र मंत्री सुन्दर तथा गदा ने वहां पर स्थापित की थी।
इन मंदिरों के सिवाय देलवाड़े में श्वेताम्बर जैनों के दो मंदिर और हैं। चौमुखजी का तिमंजिला मंदिर, शान्तिनाथजी का मंदिर तथा एक दिगंबर जैन मंदिर भी है । इन जैन मंदिरों से कुछ दूर गाँव के बाहर कितने ही टूटे हुए पुराने मंदिर और भी हैं। जिनमें से एक को लोग रसियावालम का मंदिर कहते है। इस टे हुए मंदिर में गणपति की मूर्ति के निकट एक हाथ में पात्र धरे हुए एक पुरुष की खड़ी हुई मूर्ति है जिसको लोग रसियावालम की और दूसरी बी की मूर्ति को कुंवारी कन्या की मूर्ति बतलाते हैं। कोई २ रसियावालम को ऋषि वाल्मीकि अनुमान करते हैं। यहाँ पर वि० सं० १४५१ (ई. सन् १३९५) का एक लेख भी खुदा हुआ है। अचलेश्वर के जैन मंदिर
अचलेश्वर में महाराव मानसिंहजी के शिव मंदिर से थोड़ी दूर पर शान्तिनाथ का जैन मंदिर स्थित है। इसको जैन लोग गुजरात के सोलंकी राजा कुमारपाल का बनवाचा हुला बतलाते हैं। इसमें तीन मूर्तियाँ है जिनमें से एक पर वि० सं० १०२ (१० १२४५) का लेख है। कुथुनाथ का जैन मंदिर
अचलेश्वर के मंदिर से थोड़ी दूर पर जाने से अचलगढ़ के पहाड़ के उपर चढ़ने का मार्ग है। यह चढ़ाई गणेशापोल के पते से शुरू होती है। मार्ग में लक्ष्मीनारायण का मंदिर तथा फिर कुंथुनाथ का जैन मंदिर आता है। इसमें कुंथुनाथ स्वामी की पीतल की मूर्ति है जो वि.सं. १५२७ में बनी थी। यहाँ पर एक पुरानी धर्मशाला तथा महाजनों के थोड़े से घर भी हैं। इसके ऊपर पाश्र्वनाथ, नेमिनाथ तथा आदिनाथ के जैन मंदिर स्थित है।