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श्री प्रावू महातीर्थ
अब हम पाठकों के सम्मुख जैनधर्म के सुप्रसिद्ध दानवीर पोरवाल जातीय मंत्री वस्तुपाल तेजपाल की ममरकीर्ति आर के मन्दिरों का संक्षित परिचय रखते हैं। कहना न होगा कि क्या धार्मिकता की रष्टि से, क्या कला के उच्च आदर्श की रष्टि से, और क्या स्थान की रमणीयता की दृष्टि से आबू के जैन मन्दिर न केवल जैन तीर्थों में, न केवल भारतवर्ष में, प्रत्युत सारे विश्व में अपना एक खास स्थान रखते हैं। स्थापत्य कला के उस आदर्श की दृष्टि से तो शायद सारे भारतवर्ष में एक ताजमहल को छोड़कर और कोई दूसरा स्थान नहीं जो इसका मुकाबिला कर सके। ऐसा कहा जाता है कि इन मन्दिरों के बनवाने में, इनकी कोरी करवाने में, तथा इनके प्रतिष्ठा महोत्सव में, इन दोनों भाइयों के हजारों नहीं, लाखों नहीं प्रत्युत करोड़ों रुपये खर्च हुए थे। उन लोगों के साहस, उनके कलेजे की विशालता और उनकी धार्मिकता का वर्णन इतिहास तक करने में असमर्थ है। अस्तु । ....अब हम कम से भावू के इन सब खास २ मंदिरों का संक्षिप्त वर्णन करने का नीचे प्रयत्न
करते हैं।
देलवाड़ा
भर्बुदा देवी से करीब एक माइल उत्तर पूर्व में यह देलवाड़ा मामक गाँव स्थित है। यहाँ के मन्दिरों में आदिनाथ और नेमिनाथ के दो जैन मंदिर अपनी कारीगरी और उसमता के लिये संसार भर में अनुपम हैं । ये दोनों मन्दिर संगमरमर के बने हुए हैं। इनमें दण्डनायक विमलशाह का बनाया हुआ विमलवसहि नामक आदिनाथ का मंदिर अधिक पुराना और कारीगरी की रष्टि से अधिक सुन्दर है। यह मंदिर वि० सं० २०८ में बन र तबार हुभा था। इसमें मुख्य मंदिर के सामने एक विशाल सभा मण्डप है और
• इन मंदिरों के परिचय की सामग्री ललितविजयजी कृत आबू जैन मंदिर के निर्माता नामक पुस्तक से ली है।
+ यद्यपि इन जैन मंदिरों के निर्माता वस्तुप.ल और तेजपाल पोरवाल जाति के पुरुष है मगर इन मंदिरों का . सम्बन्ध सारे श्री संघ के साथ होने की वजह से भोसवाल जाति के इतिहास में इनका परिचय देना अत्यंत आवश्यक समझा गया।