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________________ धार्मिक क्षेत्र में ओसवाल जाति (७) संवत् १८९३ की माघ वदी ३ को खम्मनगर वासी ओसवाल जातीय सा हीराचन्द्र के पौत्र सा लक्ष्मीचन्द ने हेमाभाई टोंक पर एक देवालय बंधवाया और श्री अजितनाथ की प्रतिमा अर्पण की। (6) संवत् १९०५ की माह सुदी ५ को नभीनपुर निवासी भोसवाल जाति लघुशाखा के नागड़ा गौत्रीय सा. हीरजो और बीरजी ने खरतरवासी टोंक पर एक देवालय बंधवाया और चन्द्रप्रभु तथा दूसरे तीर्थङ्करों की ३२ प्रतिमाएं स्थापित की । इसके अतिरिक्त पालीताणा के दक्षिण बाजू पर १२० गज लम्बी भौर ४० गज चौड़ी एक धर्मशाला और आंचलगच्छ के निमित्त एक उपाश्रय बनवाया। यह सब कार्य इन्होंने अञ्चलगच्छीय मुक्तिसागरसूरि के उपदेश से किया। (९) अहमदाबाद निवासी ओसगल जाति के शिशोदिया गौत्रीय सेठ बखतचंद, उनके पुत्र हेमा भाई और उनके पुत्र अहमदाबाद के नगर सेठ प्रेमाभाई ने अपनी टोंक में श्री अजितनाथ का देवा. लय बनवाया। (1.) संवत् १९०४ के चैत वदी १० को बीकानेर निवासी ओसवाल जाति के मुहता पंचाण और पुण्यकुवर के पुत्र वृद्धिचंदजी ने मुहता मोतीवसी की ढुक में एक देवालय बनाया जिसकी प्रतिष्ठा तपागच्छ के पं० देवेन्द्रकुशल ने की। ... (1) संवत् १९१० के चैत सुदी १५ को अजमेर निवासी ओसवाल जाति के मर्मया गौत्रीय सेठ बाधमलजी ने एक देवालय बनवाया तथा उसमें श्री आदिनाथ नेमिनाथ, सुव्रतनाथ, शान्तिनाथ, पार्थनाय इत्यादि तीर्थक्करों की प्रतिमाएं स्थापित की, इसकी प्रतिष्ठा खरतर गच्छ के श्री हेमचन्द्र ने करवाई। इसी प्रकार और भी पच्चीसों लेख ऐसे ओसवाल श्रावकों के मिलते हैं जिन्होंने अपनी श्रद्धानुसार जैन तीर्थहरों की साली प्रतिमाएँ अर्पण की। स्थानाभाव से उन सब का यहाँ पर उल्लेख नहीं किया जा सकता। • विशेष विवरण के लिए मुनि जिनविजयजी कृत जैन लेख संग्रह दोनों भाग देखिए ।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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