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________________ श्री सवाल जाति का इतिहास २ - *वेद मेहता राव लाखनसी, बीकानेर राज्य के आरंभ काल में कार्य्यं किया । '३ - मेहता करमसी बच्छावत - (वच्छराजजी के पुत्र ) संवत् १५५१ से राव लूणकरणजी के समय में । ४ - मेहता वरसिंहजी बच्छावत ( करमसी के छोटे भाई ) राव जेतसिंहजी के समय में । ५ - मेहता नगराजजी बच्छावत ( वरसिंहजी के पुत्र ) राव जेतसिंहजी के समय में । ६ - मेहता संग्रामसिंहजी बच्छावत ( नगराजजी के पुत्र ) राव कल्याणसिंहजी के समय में ७ मेहता करमचन्दजी बच्छावत (संग्रामसिंहजी के पुत्र ) राव रायसिंहजी के समय में । ८ - वेद मेहता ठाकुरसीजी ( राव लाखनसी की ५ वीं पीढ़ी में ) राव रायसिंहजी के समय में । ९ - मेहता भागचन्दजी तथा लक्ष्मीचंदजी बच्छावत ( करमचन्दजी के पुत्र) राव सूरसिंहजी के समय में । १० - वेद मेहता महाराव हिन्दूमलजी - महाराजा रतनसिंहजी के समय में संवत् १८८५ में । ११ - मेहता किशन सिंहजी -- १६३५ में एक साल तक । १२ - दीवान अमरचन्दजी सुराणा - महाराजा सूरतहिजी के समय में १८८३ से १३ - राखेचा मानमलजी - संवत् १८५२-५३ में दीवान रहे । १४ – कोचर मेहता शहामलजी - महाराजा सरदारसिंहजी के समय में संवत् १८६७ में दीवान रहे । किशनगढ़ स्टेट के दीवान अब हम किशनगढ़ स्टेट के भी कतिपय ओसवाल दीवानों की सूची दे रहे हैं । १ - मुहणोत रायचन्दजी - महाराज कृष्णसिंहजी के साथ कृष्णगढ़ राज्य के स्थापन में एवं १६५८ में किशनगढ़ शहर बसाने में बहुत अधिक सहयोग दिया। आपको महाराजा कृष्णसिंहजी ने अपना प्रथम दीवान बनाया। आप लगभग १७२० तक इस पद पर रहे । २ - मेहता कृष्णसिंहजी मुहणोत - - महाराजा मानसिंहजी के समय राज्य के मुख्य मन्त्री रहे । ३- मेहता आसकरणजी मुहणोत - महाराजा राजसिंहजी ने १७६५ में दीवान पद इनायत किया । ४ - मेहता चेनसिंहजी मुहणोत -- महाराजा प्रतापसिंहजी के समय में दीवान रहे। ५- मेहता रामचन्द्रजी मुहणोत महाराजा बहादुरसिंहजी ने संवत् १७८१ में दीवान बनाया । ६ – मेहता हठीसिंहजी मुहणोत - महाराजा बहादुरसिंहजी ने संवत् १८३१ में दीवान पद दिया । ७ - मुहणोत हिन्दू सिंहजी - महाराज बहादुरसिंहजी के समय में भाईदासजी के साथ दीवानगी की । ८- मेहता जोगीदासजी मुहणोत - महाराजा विरदसिंहजी तथा प्रतापसिंहजी के समय में दीवान रहे । * आप भी राव बीकाजी के साथ जोधपुर से आये थे। बीकानेर शहर को बसाने में बच्छराजजी तथा लाखनसीजी ने बहुत अधिक प्रयत्न किया । + इन बंधुओं को महाराजा सूरसिंहजी ने मरवा डाला उस समय इनके परिवार में केवल १ गर्भवती स्त्री रहगई जिनके कुक्ष से भाणजी नामक पुत्र हुए। इनकी चौथी पीढ़ी में मेहता अगर चन्दजी हुए। जो मेवाड़ के राजनैतिक गगन में चमकते हुए नक्षत्र की तरह भासित हुए। जोधपुर और बीकानेर के बाद इस परिवार के कई पुरुष मेवाड़ राज्य में प्रधान और दीवान रहे। इस समय इस परिवार में मेहता पन्नालालजी बच्छावत सी. आई. ई. के पुत्र मेहता फतेलालजी हैं । १२८B
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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