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जोधपुर दरबार के श्रीसवाल जाति के प्रति उद्गार
१२ - भडारी अगरचन्दजी - ( शिवचन्दजी के पुत्र) १८७४ दूजा सावण सुदी ६ से १८७६ तूजा जेठ बदी १२ तक १३ - सिंघवी मेघराजजी - ( भखेराजोत ) १८७६ की दूजा जेठ बदी १२ से १८८२ की माघ सुदी १२ तक १४ - सिंघवी फौजराजजी -- (गुलराजजी के पुत्र) १८९३ की सावण सुदी १ से १९१२ की आषाढ़ बदी ३ तक १५ - सिंघवी देवराजजी - ( इनके पिता फौजराजजी के गुजरने पर फोजबख्शी देवराजजी के नाम पर हुई लेकिन इनकी ओर से इनके फूफा मुहणोत विजयसिंहजी तथा मेहता कालूरामजी बापना कार्य देखते थे) सं० १९१२ भाषाढ़ बदी ३ से १९१६ सावण बदी १ तक
१६ - खालसे - ( काम सिंघवी देवराजजीकी ओरसे उनके कामदार बापना कालूरामजीके पुत्र मेहता रामलाल
१७ - सिंघवी देवराजजी ( फौजराजजी के पुत्र) सं० १४ -- सिंघवी समरथराजजी - (सुखराजजी के पुत्र) १९ - सिंघवी करणराजजी -- ( सूरजराजजी के पुत्र ) २० - सिंघवी किशनराजजी - (करणराजजी के पुत्र) १९३४ आसोज सुदी ५ से २१ -- सिंघवी बच्छराजजी ( भींवराजजी के वंशज )
जी बापना देखते थे ।) सम्वत् १९१९ की सावण बदी १ से सम्वत् १९१९ की आसाद सुदी १४ तक १९१९ आषाढ़ सुदी ४ से १९२८ कावी बड़ी ६ तक १९२९ की मगसर सुदी ३ से १९३१ चेत बदी ६ तक १९३१ चेत बदी ६ से १९३४ आसोज सुदी ५ तक १९३५ भादवा बदी ३ तक १९४५ से सं० १९५६ तक
सं०
जोधपुर के वर्तमान महा. साहिब का कहाँ के वाल समाज के प्रति उद्गार
ओसवालों द्वारा संचालित सरदार हाई स्कूल की नई इमारत के उदघाटन के समय गत १३ सितम्बर १९३२ को जोधपुर के वर्तमान नरेश श्रीमान् महाराजा उम्मेदसिंहजो साहब ने बड़ा ही महत्वपूर्ण भाषण दिया था । उसमें आपने ओसवाल जाति के पूर्वजों द्वारा की गई महान राजनैतिक सेवाओं का बड़ा ही गौरवशाली वर्णन किया है। हम आपके उक्त भाषण का कुछ अंश नीचे उधृत करते हैं ।
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I greatly appreciate the sentiments of loyalty and devotion expressed by you towards me and my house. The inestimable services rendered by your community to my ancestors are assured of a conspicuous and abiding place in the history of this great State. lt is a magnificent record of devoted service. Indeed I cannot pay too high a tribute to your unflinching loyalty and singleminded devotion to duty which have been, and I hope should be, very valuable assets to this State, both in the past, and in the future.
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