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प्रोसकाल जाति के प्रधान, दीवान तथा
प्रधान सेनापतियों की सूची
हम इस सूची में भारत की कुछ देशी रियासतों के ओसवाल प्रधानों, दीवानों. एवं प्रधान सेनापतियों की सूची दे रहे हैं। इनमें से कई सज्जनों ने अपने महान कार्यों से राजस्थान के इतिहास के पृष्ठों को उज्वल किया है।
जोधपुर राज्य के प्रधान ( Presidents) १-भण्डारी नरानी ( समराजी के पुत्र ) सं० १५१५ से १६ तक २-भण्डारी नराजी ( समराजी के पुत्र ) सं० १९:६ से ३१ तक ३-भण्डारी नाथाजी (नराजी के पुत्र ) सं. १५४४ से ४५ तक ४-भण्डारी ऊदाजी ( नाथाजी के पुत्र) सं० १५४८ से ५-भण्डारी गोरोजी ( ऊदाजी के पुत्र ) राव गांगाजी के समय में ६-भण्डारी लूणाजी (गोराजी के पुत्र ) सं० १६५१ से ५४ तक ७-भण्डारी मानाजी ( डाबरजी के पुत्र ) सं०:१६५४ से ६५ तक ८-भण्डारी लूणाजी (गोरानी के पुत्र ) सं० १६६५ से ७० तक ९-भण्डारी विट्ठलदासजी सं० १७६६ १०-भण्डारी खींवसीजी ... ... ... सं. १७७० ११-भण्डारी भानाजी ( मानाजी के पुत्र ) सं० १६७१ से ७५ तक १२-भण्डारी पृथ्वीराजजी ... ... ... सं० १६७५ से ७६ तक १३ ---भण्डारी लूणाजी ( गोराजी के पुत्र ) सं० १६७६ से १६८१ तक
जोधपुर राज्य के दीवान 1-भण्डारी नराजी (समराजो के पुत्र) जोधपुर शहर के स्थापन में राव जोधाजी के साथ सहयोग
दिया। एवं संवत् १५१६ में “दीवान" का सम्मान पाया। २-मुहणोत महराजजी (अमरतीजी के पुत्र)-राव जोधाजी के समय में दीवानगी तथा प्रधामगी की ।
* प्रधानगी का ओहदा दीवान ( Primeministers) के ओहदे से ऊँचा समझा जाता था।
. इनके पश्चात् लगभग १५० वर्षों तक जोधपुर राज्य के स्वामी राव जोधाजी, राव सातलजी, राव गामामी, राव मालदेवजी, रावचन्द्रसेनजी, मोटाराजा उदयसिंहजी, सवाई राजा सूरसिंहजी एवं महाराजा गनसिंहजी के समयों में कई भोसवाल पुरुषों ने दीवानगी एवं प्रधानगी के ओहदों पर कार्य किये, लेकिन पूर्ण रेकार्ड प्राप्त न हो सकने से जितने नाम प्राप्त हुए उतने ही दिये जा रहे हैं।
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