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पोसवाल माति का इतिहास
से आगे चल कर जो वंश बढ़ा और उनसे जो महाप्रतापी पुरुष हुए, उनका वर्णन उदयपुर के विभाग में दिपा गया है।
जिस प्रकार बच्छराजजी तथा उनके वंशजों ने बीकानेर राज्य की बड़ी-बड़ी सेवायें की, वैसे ही मोसवाल वंश के महाराव वेद वंश के मुत्सदियों ने भी उक्त राज्य की प्रशंसनीय सेवाएँ की । बीकानेर राज्य की उत्पति से लगाकर भागे कई वर्षों तक इस वंश ने जो महान् कार्य किये हैं, वे बीकानेर के इतिहास में चिरस्मरणीय रहेंगे।
वेदों की ख्यातों में लिखा है कि जिस समय राव जोधाजी के पुत्र मधीन राज्य स्थापन करने की अभिलाषा से जांगलू देश (वर्तमान बीकानेर राज्य ) में भाये थे उस समय राव लाखनसीजी वेद भी इनके साथ ये । बच्छराजजी की तरह मापने भी बीकानेर शहर बसाने में बड़े मार्के का हिस्सा लिया । कहा माता है कि पहले-पहल बीकानेर के २० मुहल्ले बसाये गये, जिनमें १४ मोहल्लों के बसाने में राव लाखनसिंह बी का सबसे प्रधान हाथ था।
राव लाखनसिंहजी के पाँच पुश्त पाद मेहता ठाकुरसिंहजी हुए । भाप बीकानेर के दीवान थे। आपने कई युद्धों में बड़ा ही वीरत्वपूर्ण भाग लिया था। जिस समय तत्कालीन बीकानेर नरेश रायसिंहजी मुगल सम्राट अकबर की ओर से दक्षिण विजय के लिये गये थे, उस समय मेहता ठाकुरसिंहजी भी आपके साथ थे। इस युद्ध में विजय प्राप्त करने से सम्राट अकबर राजा रायसिंहजी से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें कई परगने इनायत किये । इसी समय राजा रायसिंहजी ने मेहताजी के वीरत्व और रण कौशल्य से खुश होकर उन्हें भटनेर (हनुमानगद ) नामक गाँव जागीर में देकर आपका सम्मान किया । आपके बाद भापके बेटे पोतों ने भी राज्य के कई औहदों पर काम किया। भापकी आठवीं पुश्त में मेहता मूलचन्द जी हुए। ये बड़े बहादुर और सिपहसालार थे। संवत् १९७० में बीकानेर महाराजा ने चुरु के सरदार पर फौजी चदाई की थी, उसमें भापभी महाराजा के साथ थे। वहाँ आपने बड़े वीरत्व का परिचय दिया। इस युद्ध में बरछी के घावों से आप घायल हुए । आपके रण कौशल्य से प्रसन्न होकर महाराजा ने आपको नोरंगदेसर नामक एक गांव गुजारे के लिये दिया । संवत् १९.५ में आपके स्वर्गवास हो जाने पर तत्कालीन बीकानेर नरेश महाराजा रत्नसिंहजी आपके मकान पर पधारे और श्रीमान ने अपने हाथों से सारी रस्में उन्होंने मदा की। कहने का मतलब यह है कि वेद परिवार के कुछ सजनों ने सैनिक और राजनैतिक क्षेत्र में बड़े मार्के के काम किये कि जिनके लिये स्वयं बीकानेर नरेशों ने भापका बड़ा भादर सत्कार किया।