________________
[ ४ ]
की "खानदेश एज्यूकेशन सोसायटी" के उपाध्यक्ष हैं। अजमेर में होने वाले "अखिल भारतीय ओसवाल सम्मेलन” के प्रथम अधिवेशन के आप स्वागताध्यक्ष रहे, और उसमें आपने काफी सहायता पहुँचाई ।
संवत् १९७२।७३ में जब अनाज का भाव एकदम मँहगा हो गया और जामनेर की गरीब प्रजा तबाही की स्थिति में आ गई, उस समय १२ महीने तक जनता को गेहूँ व ज्वार सस्ते भाव में सप्लाय करने की जबाबदारी आपने अपने ऊपर लेली । उस समय आपने बाजार भाव से दो तिहाई मूल्य पर 1 साल तक अनाज सप्लाय कर गरीब जनता को सहायता पहुँचाई। इसी प्रकार प्लेग तथा एन्फ्लूएन्जी के समय में भी आपने पब्लिक की बहुत कीमती सेवाएँ कीं । न केवल इन संस्थाओं ही में रहकर आपने समाज सेवाएँ कीं । पर कई महत्वपूर्ण पंचायतों में भी आपने बहुत दिलचस्पी से भाग लिया। सिल्लौड़, लोण्ढरी, धूलिया, इगतपुरी में पेंचीदे सामाजिक विवाद खड़े होने पर आपके सभापतित्व एवं नेतृत्व में पंचायतें भरीं एवं उनमें आपने ऐसी बुद्धिमानो पूर्ण फैसले किये कि जिन्हें देखकर आपके सामाजिक उन्नत विचारों का सहज ही पता लगता है ।
•
धार्मिक जीवन
प्रारम्भ में आप कट्टर जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी थे । इसके बाद "पहाड़ी बाबा" नामक एक विख्यात साधु के सत्संग से आपको वेदान्त, पातंजलि दर्शन और योगाभ्यास का बहुत शौक लगा । इसी योगाभ्यास के निमित्त आपने अपने बगीचे में जमीन के भीतर एक बहुत शान्त और भव्य योगशाला का निर्माण कराया। इसके पश्चात् आपने मुस्लिम, ईसाई और आर्यसमाज आदि सब धर्मों का अध्ययन किया । इसके पश्चात् आपके जो 'विचार' हुए, बहुत उच्च हैं। आपने अनुभव किया कि "इस जगत् में तीन प्रकार के धर्मं प्रचलित है" पहला ईश्वरीय धर्मं, दूसरा प्राकृतिक धर्म और तीसरा मनुष्यकृत धर्मं । अहिंसा, सत्य, निर्बेर भावना और अखिल शान्तिमय विशुद्ध भावना ईश्वरीय धर्म है । तथा भूख पर भोजन करना, प्यास पर पानी पीना यह प्राकृतिक धर्म है । यह दोनों धर्म सत्य हैं और अमर हैं । तीसरा धर्म जो मनुष्यकृत है और मनुष्य की स्वार्थ प्रकृति की वजह से जिसका रूप बहुत विकृत हो गया है, वह भेदभाव का प्रवर्तक है, और उसीने मनुष्य जाति में इतने भेदभाव और उपद्रव पैदा किये हैं। विश्वास मनुष्य धर्म से उठकर प्राकृतिक और ईश्वरीय धर्मों पर जम गया है । सम्बन्ध में आपके विचार कितने उन्नत हैं।
इन्हीं सब अनुभवों से आपका कहना न होगा कि इस
उपरोक्त अवतरणों से स्पष्ट हो गया है कि क्या सभी विषयों में आपका जीवन उत्तसेत्तर प्रगतिशील रहा है। ओसवाल समाज में नामांकित धनिक और उदार पुरुष हैं। नामक एक पुत्री हैं, जिनका विवाह मांजरोद निवासी श्री अभी बी० ए० में पढ़ते हैं। सेठ राजमलजी का जामनेर में ' लक्खीचंद रामचंद" के नाम से बैंकिंग व कृषि का कार्य होता है । आपकी जलगाँव दुकान पर भी बैंकिंग व्यापार होता है ।
राजनैतिक, क्या धार्मिक और क्या सामाजिक आप खानदेश, बरार तथा महाराष्ट्र प्रान्त के इस समय आपके सौभाग्यवती माणिक बाई दीपचन्दजी सबदरा के साथ हुआ है । आप