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________________ श्रोसवाल जाति का इतिहास लाला सुखरूपमल रघुनाथप्रसाद भण्डारी, कानपुर इस परिवार में लाला सुखरूपमलजी के पुत्र लाला रघुनाथप्रसादजी बड़े धार्मिक व प्रतापी व्यक्ति हुए। आपने व्यापार में लाखों रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित कर कानपुर, सम्मेदशिखरजी तथा लखनऊ में ३ सुन्दर जैन मन्दिर बनवाकर उनकी प्रतिष्ठा करवाई। इस प्रकार प्रतिष्ठापूर्ण जीवन बिताते हुए संवत् १९४८ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके नामपर लाला लछमणदासजी चतुरमेहता के पुत्र मेहता सन्तोषचन्दजी दत्तक आये। आपका जन्म संवत् १९३५ में हुआ। आप भी अपने पिताजी की तरह ही प्रतिष्ठित व्यक्ति हए। आपने अपने कानपुर मंदिर में कांच जड़वाये, और आसपास बगीचा लगवाया। यह मन्दिर भारत के जड़ाऊ मन्दिरों में उच्च श्रेणी का माना जाता है। मंदिर के सामने आपने धर्मशाला के लिए एक मकान प्रदान किया। संवत् १९८९ के फाल्गुण मास में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र बाबू दौलतचन्दजी भण्डारी का जन्म संवत् १९६४ में हुआ। आप भी सजन एवम् प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। आपके पुत्र विजयचंदजी हैं। श्री हुलासमलजी मेहता का खानदान, रामपुरा । लगभग ३०० वर्षों से यह परिवार रामपुरा में निवास कर रहा है । राज्यकार्य करने के कारण इस परिवार की उपाधि “मेहता" हुई। संवत् १८२५ से राज्य सम्बन्ध त्याग कर इस परिवार ने अफीम का व्यापार शुरू किया और मेहता गम्भीरमलजी तक यह व्यापार चलता रहा। आप बड़े गम्भीर तथा धर्मानुगारागी थे। संवत् १९५३ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पुत्र चुन्नीलालजी मेहता भी व्यापार करते रहे। इनके भाइयों को मंदसोर में "धनराज किशनलाल" के नाम से सोने चाँदी का व्यापार होता है। मेहता चुनीलालजी के मोहनलालजी तथा हुलासमलजी नामक २ पुत्र हैं। मोहनलालजी विद्याविभाग में लम्बे समय तक सर्विस करते रहे तथा इस समय पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। मेहता हुलासमलजी-आप इन्दौर स्टेट में कई स्थानों के अमीन रहे। तथा इस समय मनासामें अमीन हैं। आप बड़े सरल तथा मिलनसार सजन हैं । आपके ४ पुत्र हैं। जिनमें बड़े सजनसिंहजी मेहता इसी साल एल० एल० बी० की परीक्षा में बैठे थे। आप होनहार युवक हैं । आप से छोटे मनोहरसिंहजी बी० ए० में तथा आनंदसिंहजी मेट्रिक में पढ़ रहे । और ललिजसिंह बालक हैं। मेहता किशनराजजी, मेड़ता इस परिवार के पूर्वज मेहता जसरूपजी जोधपुर में राज्य की सर्विस करते थे। इनके मनरूप जी तथा पनराजजी नामक २ पुत्र हुए। पनराजजी जालोर के हाकिम थे। इनके रतनराजजी, कुशलराज जी, सोहनराजजी तथा शिवराजजी नामक ४ पुत्र हुए। इन बंधुओं में केवल शिवराजजी की संताने विद्यमान हैं। मेहता शिवराजजी जोधपुर में वकालात करते थे। इनका संवत् १९७४ में ५४ साल की वय में स्वर्गवास हुआ। आपके किशनराजजी तथा रंगराजजी नामक २ पुत्र हुए । मेहता किशनराज जी का जन्म संवत् १९४७ में हुआ । आपने सन् १९१३ में जोधपुर में वकालात पास की । तथा ..८ सालों तक वहीं प्रेक्टिस करते रहे । उसके बाद आप मेड़ते चले आये। तथा इस समय मेड़ते के प्रतिष्ठित वकील माने नाते हैं। आपके छोटे बंधु रंगराजजी हवाला विभाग में कार्य करते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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