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________________ जालोरी चन्दजी हुए । आप रीयां से व्यवसाय के लिये भेउसा भाये, और यहाँ सर्विस की । संवत् १९३१ में आप स्वर्गवासी हुए । आपके गुलाबचन्दजी पूनमचन्दजी तथा नथमलजी नामक ३ पुत्र हुए। सेठ गुलाबचन्दजी तथः पूनमचन्दजी ने बांसोदा ( भेलसा के पास) में अपना व्यापार शुरू किया, तथा १० गांवों में अपनी जमीदारी की। आप तीनों भ्राता क्रमशः संवत् १९४५ संवत् १९२८ तथा संवत् १९३१ में स्वर्गवासी हुए । सेठ गुलाबचन्दजी के पुत्र रिखवदासजी संवत् १९८१ में स्वर्गवासी होगये हैं । इनके पुत्र सिंगारमलजी तथा सागरमलबी बासोदा में व्यापार करते हैं। जालोरी पूनमचन्दजी के अनीरचंदजी तथा लूणकरणजी नामक २ पुत्र हुए। जालोरी लूणकरण जी संवत् १९७४ में भेलसा आये तथा यहाँ ३ गांवों की जमीदारी करके मकानात दुकाने आदि बनवाई | संवत् १९८० में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र जालोरी तखतमलजी हैं । श्री तखतमखजी जालोरी - आपका जन्म संवत् १९५१ में हुआ । आप १८ साल की आयु से ही भेलसा कोर्ट में प्रेक्टिस करते हैं। तथा भेलसा और गवालियर स्टेट के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । तीन सालों तक आप गवालियर स्टेट प्रीवियस कान्फ्रेंस के सेक्रेटरी थे, तथा इधर २ वर्षों से उसके प्रेसिडेंट हैं । आप गवालियर स्टेट लेजिस्लेटिव कौंसिल के मेम्बर हैं। इसके अलावा अछूतोद्धारक संघ भेलसा के प्रेसिडेन्ट, चरखा संघ खादी भण्डार के संचालक तथा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड और डिस्ट्रिक्ट ओकॉफ कमेटी के मेम्बर हैं । भेलसा म्यु० के प्रेसिडेण्ट भी आप रह चुके हैं । इसी तरह के हरएक सार्वजनिक कामों में हिस्सा लेते हैं । आपके पुत्र राजमलजी इलाहबाद में थर्ड ईयर में पढ़ते हैं । • सेठ अबीर चन्दजी के पुत्र मिलापचन्दजी तथा अमोलकचन्दजी स्वर्गवासी होगये हैं । इस समय मिलाप चन्दजी के पुत्र सोभागमलजी भेलसा में खजांची हैं । तथा सूरजमलजी उदयपुर में पढ़ते हैं । अमोलकचन्दजी के पुत्र सरदारमलजी हैं । सेठ नथमल दलीचंद जालोरी वोहरा का खानदान, अहमदनगर इस खानदान का मूल निवास पीपाड़ ( मारवाड़ ) है । आप मन्दिर मार्गीय आम्नाय के मानने वाले सज्जन हैं । इस खानदान के पूर्वज सेठ बक्षूरामजी तथा उनके पुत्र मोतीरामजी थे । सेठ मोतीरामजी के ३ पुत्र हुए। इनमें बड़े दो सेठ तेजमलजी तथा सूरजमलजी लगभग १५० वर्ष पूर्व पैदल रास्ते से अहमदनगर आये, तथा यहाँ सराफी और कपड़े का व्यापार चालू किया। आपके छोटे भाई बुधमलजी मारवाड़ में ही रहते रहे । सेठ तेजमलजी के पुत्र गणेशदासजी तथा भगवानदासजी थे। इनमें गणेशदासजी के लक्ष्मणदासजी, राजमलजी तथा भीकनदासजी नामक ३ पुत्र हुए। और भगवानदासजी के पुत्र पेमराजजी हुए । इन चारों सज्जनों का स्वर्गवास हो गया है । इस समय लछमणदासजी के पुत्र चुनीलालजी तथा पेमराजजी के पुत्र पन्नालालजी विद्यमान हैं । सेठ सूरजमलजी के पुत्र नथमलजी तथा पौत्र दलीचन्दजी हुए । जालोरी बोहरा दलीचन्दजी के हाथों से फर्म के व्यापार को विशेष उन्नति मिली । आपने पीपाड़ में एक उपाश्रय तथा भांदकजी में ६२७
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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