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भोसवाल जाति का इतिहास
सेठ प्रतापमल लखमीचन्द गोठी, बतूलवालों का खानदान
इस परिवार का मूल निवास स्थान बावरा ( जोधपुर स्टेट ) में है। वहाँ लगभग एक शताब्दि पूर्व सेठ शेरसिंहजी गोठी के पुत्र सेठ प्रतापमलजी तथा साईदासजी बदनूर आये, तथा यहां से लेनदेन का व्यापार चालू किया।
सेठ प्रतापमलजी गोठी–आप बड़े व्यवसाय कुशल तथा दूरदर्शी पुरुष थे आपने व्यापार द्वारा उपार्जित की हुई सम्पत्ति से बेतूल जिले में संवत् १९३१ में सांकादही तथा जामशिरी और १९४० में वोयगाँव तथा डोलन नामक गाँव खरीद किये। आपको दरबार आदि सरकारी जलसों में कुर्सी प्राप्त होती थी। . आप बेतूल के ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे। संवत् १९४६ में ६५ साल की आयु में आप स्वर्गवासी हुए। आपके छोटे भ्राता साईदासजी भी संवत् १९४० में स्वर्गवासी हुए। सेठ प्रतापमल जी के तिलोकचन्दजी तथा लखमीचन्दजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें तिलोकचन्दजी का स्वर्गवास संवत् १९३१ में २९ साल की अल्पायु में होगया, अतः इनके उत्तराधिकारी सेठ लखमीचन्दजी के ज्येष्ठ पुत्र मिश्रीलालजी बनाये गये।
.. सेठ लखनीचन्दजी गोठी-आपका जन्म संवत् १९१५ में हुआ। आप इस परिवार में बहुत प्रतापी व्यक्ति हुए। आपने अपनी जमीदारी के बढ़ाने की ओर बहुत लक्ष दिया, तथा अपने हाथों से बेतूल तथा होशंगाबाद जिले में करीब १०० गांव जमीदारी के खरीद किये। सरकार ने आपको ऑनरेरी मजिस्ट्रेट का सम्मान दिया था। आपके लिये वृटिश इंडिया में आमंस लाइसेंस माफ था। आपने अपने स्वर्गवासी होने के 10 साल पूर्व अपने सातों पुत्रों के विभाग अलग अलग कर दिये थे। तथा २ गाँव पुण्यार्थ खाते निकाले। जिनकी आय इस समय सदावृत आदि धार्मिक कामों में लगाई जाती है। इसके अलावा प्रधान दुकान और ग्राहस्थ जीवन सम्मिलित चालू रहने की व्यवस्था करदी। आपकी इच्छानुसार आपके पुत्रों ने साठ सत्तर हजार रुपयों की लागत से इटारसी स्टेशन पर एक सुंदर धर्मशाला बनवाई। इस प्रकार प्रतिष्ठा पूर्वक जीवन बिताते हुए संवत् १९८१ की काती वदी १० को आप स्वर्गवासी हुए। आपके मिश्रीलालजी, मेघराजजी, धनराजजी, पनराजजी, केशरीचन्दजी, दीपचन्दजी तथा तथा फूलचन्दजी नामक पुत्र हुए। इनमें धनराजजी स्वर्गवासी होगये ।
सेठ मिश्रीलालजी गोठी-आपका जन्म संवत् १९३९ में हुआ। आपही इस समय इस परिवार में सबसे बड़े हैं। आप बड़े शांत तथा समझदार सज्जन हैं। तथा तमाम जमींदारी, व्यापार
और कुटुम्ब की सम्भाल बड़ी तत्परता से करते हैं। आपके पुत्र बदरीचन्दजी १६ साल के हैं, आप शुद्ध खादी धारण करते हैं। आप होनहार युवक हैं। तथा मेट्रिक में अध्ययन करते हैं। सेठ मेघराजजी गोठी का जन्म १९४३ में हुआ। यूरोपीय युद्ध के बाद आपने छिंदवाड़ा डिस्ट्रिक्ट में दो लाख रुपयों की लागत से कोयले को तीन खाने खरीदी, तथा इस समय उनका संचालन करते हैं। आपके पुत्र अमरचन्दजी तथा प्रेमचन्दजी हैं। सेठ धनराजजी गोठी का जन्म संवत् १९४८ में तथा स्वर्गवास १९८४ में हुआ। आपके पुत्र गोकुलचन्दजी, नेमीचन्दजी, उत्तमचन्दजी तथा समीरमलजी हैं। सेठ पनराजजी का जन्म १९४८ में हुआ। भाप सराफी दुकान का काम देखते हैं। आपके मूलचन्दजी तथा मोतीलाल