SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नांदेचा सेठ भोंकारजी ने इस फर्म के व्यवसाल में बहुत उन्नति की। आपके पुत्र लालचन्दजी भी बड़े योग्य पुरुष थे। आपने भी काफी उन्नति कर फर्म की वृद्धि की । आप दोनों का स्वर्गवास होगया। जिस समय सेठ लालचन्दजी का स्वर्गवास हुआ उस समय. भापके पुत्र स्वरूपचन्दजी नाबालिग थे। अतएव फर्म का संचालन रामाजी बोरा नामक एक व्यक्ति ने किया। आप भी भापके एक रिश्तेदार थे । सेठ स्वरूपचन्दजी इस परिवार में खास व्यक्ति हुए। आपने मुल्योन स्टेट के खजांची का काम किया। आपके समय में ही इस फर्म पर काछी बड़ौदा, निजा, पचलाना, बावनगढ़, दौतरिया कानौगा, कठौड़िया इत्यादि ठिकानों का काम शुरू हुआ। प्रायः इन सभी ठिकानों में भापका अच्छा सम्मान था। इनके द्वारा आपको समय २ पर कई प्रशंसा सूचक रुक्के भी प्राप्त हुए थे। धार स्टेट से आपको 'सेठ' की पदवी मिलीथी । मुल्थान ठिकाने से आपको जागीर और बैठक का सम्मान मिला हुआ था। जो इस समय भी इस परिवार वालों के पास है । मुल्थान के अलावा आपने खाचरोद में भी अपनी एक फर्म स्थापित की, जो इस समय सुचारु रूप से चल रही है। लिखने का मतलब यह है कि आप इस खानदान में बड़े प्रभाविक और प्रतिष्ठित व्यक्ति हुए। आपका स्वर्गवास हो गया। आपके चार पुत्र हुए, जिनके नाम पचालालजी, प्रतापमलजी, गेंदालालजी और कन्हैयालालजी था। इनमें से अंतिम तीनों का स्वर्गवास आपकी मौजूदगी ही में होगया था। आपके स्वर्गवास होने के पश्चात् ही आपके चौथे पुत्र का भी स्वर्गवास होगया। इनमें से केवल सेठ प्रतापमलजी के हीरालालजी नामक एक पुत्र हुए। जिस समय आप लोगों का स्वर्गवास हुआ उस समय हीरालालजी नाबालिग थे। अतएव फर्म का संचालन स्वरूपचन्दजी के भानजे सेठ इन्द्रमलजी ने देखा। जो इस समय भी बरावर देख रहे हैं। आप भी बड़े व्यापार कुशल और मेधावी सज्जन हैं । आपके द्वारा इस फर्म की बहुत उन्नति हुई है। सेठ हीरालालजी संवत् १९७० से व्यापार में लगे। आपके सामाजिक विचार बड़े ऊँचे हैं । धार्मिक एवम् सार्वजनिक कार्यो की ओर भी आपका बहुत ध्यान है। आपने अपने दादाजी के स्मारक स्वरूप उनके निकाले हए दान से एक जैन स्वरूप पाठशाला स्थापित कर रखी है। जिसमें इस समय ७० विद्यार्थी विद्याध्ययन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त आपने यहां एक प्रान्हवेट लायब्रेरी भी स्थापित कर रखी हैं जिससे यहां की जनता लाभ उठा सकती है। स्थानीय श्री. श्वेताम्बर साधुमार्गीय जैन हितेच्छु मण्डल की ओर से यहाँ एक विद्यालय स्थापित है उसमें भी माप २००) माहवार खर्च के लिये प्रदान करते हैं। इसी प्रकार और भी कई सार्वजनिक कार्यों में आपकी ओर से सहायता प्रदान की जाती है, आप मिलनसार, सजन और उत्साही व्यकि हैं। आपको साहुकारों की दरबारी बैठक में प्रथम स्थान मिला हुआ है भाप परगना बोर्ड के भी मेम्बर हैं। भापका ब्यापार इस समय मुल्थान और खाचरोद में बैकिंग और भासामी लेन देन का हो रहा है। ५३९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy