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________________ मोसवाल जाति का इतिहास ,, हरखावत कुशलसिंहजी का परिवार, इन्दौर हरखावत कुशालसिंहजी अच्छे प्रतिष्ठित व्यक्ति हुए। आपके परतापसिंहमी, कल्याणसिंहजी, परथीसिंहजी, विनवसिंहजी, बहादुरसिंहजी तथा केसरीसिंहजी नामक ६ पुत्र हुए। इनमें सम्वत् १८७९ में बहादुरमलजी की धर्मपत्नी उनके साथ सती हुई। संवत् १८२३ में इस परिवार को गाँव जागीर में मिला । उस सम्बन्ध में इनको निम्न परवाना मिला था । सिंघवी फतेचन्द लिखावंत प्रगणे मेडतारा गांवरा माचारणरी वीसणी तर्फे हवेली रा चोधरियां लोकांदिसे-तथा गांव साः परतापमल, कल्याणमल कुशलमल विमलदास रे पट्टे हुश्रा के सु संवत १८२४ रा साख साबण था अमलदीजो दाण जमा खंदी वगेरा बाब दरबार छे रेख १००१ इनायत बालसा री संवत १८२३ आषाढ वदी ७ उपरोक ग्राम अभी तक इस परिवार के अधिकार में चला आता है। हरखावत प्रतापमलजी के पुत्र उम्मेदमलजी, बख्तावरमलजी, हिन्दूमलजी, ईसरदासजी तथा जगरूपमलजी हुए। इनमें ईसरीदासजी के माम पर जगरूपमलजी के छोटे पुत्र मगनमलजी दत्तक आये। मगनमलजी के पुत्र सरदारमलजी केथूली (इन्दौर-स्टेट) में रहते थे। तथा भानपुरा आदि की सायरों के इजारे का काम करते थे। तथा मालदार साहुकार थे। इनके पुत्र सिरेमलजी भी भानपुरा में एक प्रतिष्टित पुरुष हो गये हैं। यहाँ की जनग आपका बहुत सम्मान करती थी। माप भाजन्म कस्टम इन्सपेक्टर रहे। वर्तमान में आपके पुत्र शिवराजमलजी इन्दौर स्टेट के गरोठ परगने में सब इक्साइज इन्सपेक्टर हैं। आप बड़े मिलनसार तथा समझदार युवक हैं। हरखावत सगतसिंहजी का परिवार, अजमेर शाह सगतसिंहजी के पश्चात् क्रमशः शिवदासजी, निहालचन्दजी, वरदीचंदजी तथा प्रभूदानजी हए । संवत् १९11 में शाह प्रभूदानजी जोधपुर दरबार की ओर से अजमेर दरबार में खलीता लेकर गये थे। संवत् १९१४ के गदर में भाप रावजी राजमलजी लोढ़ा के साथ फौज लेकर उवा तथा आसोप की बागी फौजों को दबाने के लिये गये थे। जब राजमलजी वहाँ काम आगये तब आप फौज को वापस लेकर जोधपुर आये । तथा वहीं आपका स्वर्गवास हुमा । आपके पुत्र पुसमलजी संवत् १९२७ में स्वर्गवासी हुए इनके पुत्र शाह हमीरमलजी विद्यमान हैं। आपका जन्म संवत् १९२२ में हुआ। आपने ३० सालों तक अजमेर रेलवे के ऑडिट ऑफिस में सर्विस की । सन् १९१६ में आप रिटायर्ड हुए। भापके पुत्र कुंवर धनरूपमलजी का जन्म १९४२ में हुआ। आपने संवत् १९६१ में कपड़े तथा गोटे का व्यापार किया । तथा इस समय जवाहरात का व्यापार करते हैं। आप अजमेर के प्रतिष्ठित जौहरी माने जाते हैं। आपके पास क्यूरियो तथा जवाहरातका अच्छा संग्रह है। सेठ मनीरामजी देवीचन्दजी हरखावत, सीतामऊ करीब १२५ वर्ष पूर्व इस परिवार के पूर्व पुरुष सेठ कपूरचन्दजी रतलाम से सीतामऊ भाये । यहाँ आकर आपने व्यापार में अच्छी सफलता प्राप्त की। आपके मनीरामजी नामक एक पुत्र हुए।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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