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________________ घाडीवाल मैनेजर हैं। आप बड़े शान्त, अनुभवी तथा मिलनसार सज्जन है। सन् १९९० में भाप बिड़ला ब्रदर्स की तरफ से ईस्ट इण्डिया प्रोड्यूज के डायरेक्टर होकर विलायत गये थे। आपके पुत्र फतहचन्दजी पढ़ते हैं तथा हेमचन्द्रजी अजमेर में रहते हैं। धाड़ीवाल हरीचन्दजी का जन्म सम्बत् १९५६ में हुमा । आपने बी, कॉम तक अध्ययन किया । कुछ दिन जयाजीराव मिल में सर्विस की, तथा इस समय अजमेर में रहते हैं। यह परिवार अजमेर के ओसवाल समाज में उत्तम प्रतिधा रखता है। इस परिवार में धाड़ीवाल वीपचन्दजी के पुत्र लक्ष्मीचन्दजी धाड़ीवाल एम० ए० एल० एल० बी० प्रोफेसर होल्कर कॉलेज इन्दौर हैं। सेठ मुलतानमल शेषमल धाड़ीवाल का परिवार, कोलार गोन्ड फील्ड इस परिवार के मालिकों का मूल निवास स्थान बगढ़ी (जोधपुरस्टेट) का है। आप ओसवाक जैन श्वेताम्बर समाज के बाइस सम्प्रदाय को मानने वाले सजन हैं। इस परिवार में सेठ मुलतानमलजी संवत् १९४६ में बंगलोर आये और यहाँ आकर भापने मेसर्स आईदान रामचन्द्र के यहाँ दो साल तक सर्विस की। इसके दो वर्ष बाद आपने बंगलोर में लेन देन की दुकान स्थापित की। सम्वत् १९५७ के लगभग श्री मुलतानमलजी ने कोलार गोल्ड फील्ड के अण्डरसन पेठ में एक लेन देन की धर्म स्थापित की जो आज तक बड़ी अच्छी तरह से चल रही है । आपका सम्वत् १९३० में जन्म हुआ है। आप बड़े साहसी तथा व्यापारकुशल सजन हैं। आपका धर्म ध्यान में अच्छा लक्ष्य है। करीब २ सालों से इस फर्म में से मेसर्स आइदान रामचन्द्र का भाग निकल गया है। भापके इस समय तीन पुत्र हैं जिनके नाम श्रीशेषमलजी, अमोलंकचन्दजी तथा केवलचन्दजी हैं। आप तीनों भाइयों का जन्म क्रमशः सम्वत् १९६५, १९७१ तथा १९७३ का है। आप तीनों ही बड़े योग्य और नवीन विचारों के सजन हैं। श्री केवलचन्दजी इस समय मेट्रिक में पढ़ रहे हैं। इस परिवार की मलतानमल शेषमल के नाम से अण्डरसनपेठ में तथा मुलतानमल मिश्रीलाल के नाम से रेलामेठम् अर्कोनम् में बैकिंग का व्यवसाय होता है। यह फर्म यहाँ मातबर मानी जाती है। हरखावत गौत्र की उत्पत्ति संवत् ९१२ में पवार राजा माधवदेव को भहारक भावदेवसूरिजी ने प्रतिबोध देकर जैन धर्म अंगीकार करवाया । संवत् १३४० में इस परिवार के पामेचा साः रतनजी ने शाही फौज के साथ कुवाड़ियों से लड़ाई की इसलिए इनकी गौत्र “कुवाद" हुई । संवत् ११४४ में इस परिवार में हरखाजी हुए। इनकी संतानें “हरखावत” कहलाई। इन्होंने सिरोही, जोधपुर तथा जालोर में मंदिर बनवाये, शत्रुजय का संघ निकाला । इनके पुत्र विमलशाहजी मेड़ते के सम्पत्तिशाली साहुकार थे । भापको बादशाह ने "शाह" की पदवी दी। इनके कुशलसिंहजी तथा सगतसिंहजी नामक २ पुत्र हुए।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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