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________________ मोसवाल जाति का इतिहास कारण गिरगई एवम् नष्ट होगई थी। अतएव आपने फिर से उसका निर्माण करवाया। दरबार ने आप को भिन्न र समयों पर किर्च, बन्दूक, पिस्तौल वगैरह प्रदान कर आपका सम्मान बढ़ाया था । सन् १९.४ में आपको वहां दरबार में फस्र्ट क्लास सीट मिली। इसके पश्चात् फिर सन् १९२५ में आपके सम्मान को विशेष रूप से प्रदर्शन करने के लिये आपको पैरों में सोने का लंगर तथा आसासोटा प्रदान किया। भापके कोई पुत्र न होने से आपके नाम पर बा. जयचन्दलालजी दत्तक लिये गये हैं। आप एक उत्साही युवक हैं। आपको आयुर्वेद का बड़ा शौक है । आपके प्रयत्न से यहाँ एक नवयुवक मंडल स्थापित है आपके एक पुत्र है जिनका नाम भंवरलालजी है। आपकी फर्म पर कूचबिहार में जूट का व्यापार होता है । इस परिवार वालों को कूचबिहार स्टेट और बीकानेर स्टेट से समय २ कई खास रुक्के प्राप्त हुए हैं। सेट ताराचन्दजी सेठिया का परिवार, सरदारशाह सेठ ताराचन्दजी करीब ८० वर्ष पूर्व तोल्यासर से सरदार शहर में आकर बसे थे। आपका गौत्र सेठिया है। जिस समय आप यहाँ आये आपकी बहुत ही साधारण स्थिति थी। आपका स्वभाव बड़ा तेज एवम् आत्माभिमानी था। आप गरीबों के बड़े पृष्ट पोषक थे। यहाँ तक कि हमेशा आपका तन मन उनके लिये प्रस्तुत रहता था। इसी कारण से आप यहाँ की जनता के माननीय थे। आपका स्वर्गवास . १९४० में हुआ। आपके चुन्नीलालजी नामक एक पुत्र हुए। आप बड़े बुद्धिमान और समझदार व्यक्ति थे। अपका स्वर्गवास संवत् १९५३ में हो गया। आपके चार पुत्र सेठ पूरनचन्दजी, रावतमलजी, कालूरामजी और चौथमलजी हैं। सेठ पूनमचन्दजी के पुत्र दीपचन्दजी और लक्ष्मीचन्दजी आजकल पूनमचन्द जीवनमल के नाम से ३५ आर्मेनियन स्ट्रीट में अलग व्यवसाय करते हैं। सेठ रावतमलजी बड़े व्यापार चतुर और प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तिहैं। संवत् १९५३ में जब कि आपकी आयु केवल १३ वर्ष की थी, आप कलकत्ता व्यापार के लिये गये। एवम् धीरे २ आपने अपनी व्यापार चातुरी से बहुत सी सम्पत्ति उपार्जित की। आपने अपनी सम्पत्ति का एक नियम बना लिया था उससे ज्यादा पैदा करना आप नहीं चाहते थे, अतएव नियमित सम्पत्ति के पैदा होते ही सब कारबार अपने छोटे भाइयों को १९८३ में देकर आप आजकल सरदार शहर ही में रहते हैं । आप तेरापंथी संप्रदाय के अनुयायी हैं। सेठ कालूरामजी एवम् चौथमलजी दोनों ही भाई वर्तमान में रामलाल जसकरन के नाम से आर्मेनियम स्ट्रीट में कपड़े का तथा जूट और कमीशन का तथा चौथमल रामलाल के नाम से सूतापट्टी ४६ में कपड़े का व्यापार करते हैं। सेठ कालूरामजी के रामलालजी, मदनचंदजी, संतोषचन्दजी और सूरजमल जी तथा चौथमलजी के जसकरनजी, फतेचंदजी, करनीदानजी एवम् रतनलालजी नामक पुत्र हैं। सेठ चिमनीराम हुलासचंद सोठिया . ... इस परिवार के पुरुष तोल्यासर से सरदारशहर आये । पहले इस परिवार की स्थिति साधारण
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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