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________________ सेठिया अपना अपना स्वतंत्र व्यापार करने लगे। सेठ भीखणचन्दनी तीन पुत्र हुए शोभाचन्दजी, दुलीचन्दजी और भीमराजजी । इनमेंसे प्रथम शोभारामजी अलग होगये एवम् अपना स्वतंत्र व्यापार कलकत्ता में मेसर्स शोभाचंद सुमेरमल के नाम से करने लगे । भापका स्वर्गवास होगवा है। आप मिलनसार व्यक्ति थे । आपके समेरमलजी एवम् तनसुखरायजी नामक दो पुत्र हैं। आप लोग भी सज्जन एवम् मिलनसार हैं। दूसरे पुत्र दुलिचन्दजी सेठ नथमलजो के पुत्र न होने से वहाँ दत्तक चले गये। अतएव अब तीसरे पुत्र भीमराजजी ही इस समय अपनी फर्म मेसर्स कालूराम नथमल ताराचन्द दत्त स्ट्रीट का संचालन करते हैं। इसमें नथमलजी के दत्तक पुत्र सेठ दुलिचन्दजी का भी साझा है। सेठ नारायणचन्दजी इस समय विद्यमान हैं आपकी वय इस समय ६४ वर्ष की है। आपकी फर्म इस समय कलकत्ता में मेसर्स कालूराम शुभकरन के नाम से चल रही है तथा मुगलहाट में भी आपकी एक फर्म है जहाँ पाट का व्यापार होता है। आपके दीपचन्दजी नामक एक पुत्र हैं। आपही आजकल फर्म के व्यापार का संचालन करते हैं। आप योग्य और मिलनसार सज्जन हैं। आपके चार पुत्र हैं जिनमें तीन के नाम क्रमशः शुभकरणजी, जसकरणजी, और रिधकरनजी हैं। बड़े पुत्र व्यापार में सहयोग लेते हैं । सेठ टोडरमलजी के कोई संतान न हुई। दुरंगदासजी के परिवार में उनके पुत्र जेठमलजी और किशनचन्दजी हुए। इस समय किशनचन्दजी के पुत्र नेमचन्दजी, मुगलहाट में किशनचन्द मंगतमल के नाम से व्यापार कर रहे हैं। सेठ श्रीचंदजी का परिवार-आपके कोई पुत्र न होने से आपने नथमलजी को दत्तक लिया। मगर आपका केवल २२ वर्ष की युवावस्था ही में संवत् १९४४ में स्वर्गवास होगया । नथमलजी का राज में अच्छा सम्मान था। आपके भी कोई पुत्र न होने से दुलिचंदजी आपके नाम पर दत्तक आये। आपका जन्म संवत् १९३७ का है। आप पढ़े लिखे, उत्साही, और चतुर पुरुष हैं। आपने अपने स्वर्गीय पिताजी के स्मारक स्वरूप सरदारशाह में एक दातव्य औषधालय स्थापित किया है। यहाँ यही एक सबसे बड़ा औषधालय है । इसमें करीब ५०, ६०, हजार रुपया लगाया गया था। इसके अतिरिक्त इसके साथही एक जैन पुस्तकालय भी है। बाबू दुलिचन्दजी कुंचविहार में करीब ९ वर्ष तक वहाँ की कोंसिल के मेम्बर रहे। इसके अतिरिक्त बीकानेर हाईकोर्ट ने सर्व प्रथम भापको सहदारशहर में आनरेरी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया। लिखने का मतलब यह है कि आपका यहाँ राज्य एवम् समाज में अच्छा सम्मान है। आपका व्यापार कूचबिहार तथा कलकत्ता में मेसर्स कालराम नथमल के नाम से होता है। जिसमें आपके भाई भीवराजजी का साझा है यह हम उपर लिख ही चुके हैं। इसके अतिरिक्त आपके पुत्रों के नाम से कलकत्ता के ताराचन्द दत्त स्ट्रीट में मेसर्स श्रीचंद मोहनलाल के नाम से जूट का व्यापार होता है। आपके दो पुत्र हैं जिनका नाम चम्पालालजी और मोहनलालजी है। कलकत्ते की ताराचन्द दत्त स्ट्रीट वाली विल्डिंग इन्हीं पुत्रों के नाम से खरीदी हुई है। सेठ आईदानजी का परिवार-आपके एक मात्र पुत्र सेठ मंगलचन्दजी हुए । आपका जन्म संवत् १९२२ का है। जब कि आपकी अवस्था १५ वर्ष की थी उसी समय आप व्यापार के लिये अपनी फर्म पर कूच बिहार गये। आपके पिताजी के द्वारा निर्मित की हुई धर्मशाला संवत् १९५४ में भूकम्प के
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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