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________________ [ २४ 1 अध्याय प्रधान विषय पृष्ठाङ्क ८ देवयज्ञादिविधानवर्णनम् २६६२ वैश्वदेवकालनिर्णयवर्णनम् . २६६५ पञ्चसूनापनुत्त्यर्थ वैश्वदेववर्णनम् २६६७ वैश्वदेवमाहात्म्यवर्णनम २६६६ वैश्वदेव में कोद्रव ( कोदो ), मसूर, उड़द, लवण और कड़वे द्रव्यों को काम में न लेवे (१-२)। नाना प्रकार की बलि करने से नाना प्रकार के काभ्य कर्मों की सिद्धियां होती हैं। द्विजों के लिये पांच ही क्रम से बलि का विधान है। पहले उपवीत, दूसरे निवीत, तीसरे पितृमेध के लिये बलि की जाती है (३-१२)। वैश्वदेव में ताजा अन्न ही काम में लिया जाय (१३-१६)। वैश्वदेव मन्त्र के साथ हो या बिना मन्त्र के इसे किसी भी रूप में करना चाहिये ; क्योंकि इसको करनेवाला अन्नदोष से लिपायमान नहीं होता (१७.२४)। पञ्चशूनाजनित पापों को जैसे, चूल्हा, चक्की, जल भरने का स्थान, झाडू आदि के दोषों को दूर करने के लिये इसकी बड़ी आवश्यकता है (२५-३६.)। वैश्वदेव को करने से सकल दोषों का निवारण होता है। नित्य होम का वजन सूतक एवं मृतक में बताया
SR No.032671
Book TitleSmruti Sandarbh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages768
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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