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________________ [ ६ ] अध्याय प्रधान विषय पृष्ठाङ्क को सिकोड़ कर नाक और मुँह को वस्र से ढक कर मलमूत्र त्याग करे (६)। जो व्यक्ति अपने शिर को बिना ढंके मलमूत्र का त्याग करता है उसके शिर के सौ टुकड़े हों ऐसा वेद शाप देते हैं (१०)। बाद में शोधन कर्म करे। गृहस्थ, ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ और सन्यासियों का विभिन्न शौच प्रकार (११-१७ )। बाह्य और आभ्यन्तर शौच आवश्यक है क्योंकि शौच व आचार से हीन की सब क्रिया निष्फल हैं ( १८-२०)। आचमन प्रकार ब्राह्मण इतना आचमन ले जितना हृदय तक स्पर्श हो, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और स्त्रियां कण्ठतालु तक स्पर्श करनेवाले जल से आचमन करे । हाथ में कुश लेकर जल पीवे और आचमन करे । (२२-२७ )। अपने कटि प्रदेश तक जल में स्नान कर वहीं भीगे कपड़ों से तर्पण, आचमन और जप करे यदि सूखे कपड़े पहनकर करना हो तो स्थल में ये क्रियायें करें (२८-३०) उपवास के दिन दन्तधावनादि न करे । कुल्ला के समय तर्जनी से मुख के शोधन से प्रायश्चित्त लगता है। स्नानविधिवर्णनम् २६२७ निषिद्ध तिथियों में दन्तधावन नहीं करना चाहिये। पतित मनुष्य की छाया पड़ने से स्नान करना चाहिये
SR No.032671
Book TitleSmruti Sandarbh Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages768
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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