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अध्याय
[ ५७ ]
प्रधानविषय
मनुष्यता के व्यवहारवाली होगी यह बताया गया
है (१-१६ ) । ११ राजधर्माभिधानवर्णनम् । अदण्डदण्डने पुरोहितादेः प्रायश्चित्तम् ।
राजा को सब वर्ग के धर्म की रक्षा करनी चाहिये अपराधियों को बिना दण्ड दिये छोड़ने से राजा को पापी कहा है ( १-३४ ) ।
२० प्रायश्चित्तप्रकरणवर्णनम् । ब्राह्मणसुवर्णहरणेप्रायश्चित्तवर्णनम् ।
१५१७
१५१६
पृष्ठांक
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१५२३
विभिन्न प्रकार के प्रायश्चित्त । गुरुरात्मवतांशास्ता शांस्ता राजा दुरात्मनाम् । इह प्रच्छन्नपापानां शास्तावैवश्वतो यमः, इति ॥ भ्रूणहत्या और ब्रह्मघ्न के प्रायश्चित्त का वर्णन ( १-५२ ) ।
२१ ब्राह्मणीगमने शूद्रवैश्यक्ष त्रियाणां प्रायश्चिच
वर्णनम् ।
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गोवधाद्यनेकप्रायश्चित्तवर्णनम् ।
प्रतिलोम विवाह में उम्र प्रायश्चित्त, यथा; शूद्र पुरुष