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[ २८ ] अध्याय प्रधान विषय
पृष्ठाइ विधान आया है। अपनी अपनी वृत्ति से सबको
जीवन निर्वाह करने का माहात्म्य बताया गया है। ५ गोमहिमा वर्णनम् ।
७३५ षट् कर्म सहित विप्र कृषि वृत्ति का आश्रय करे (१-२)। बैल के पालन करने का माहात्म्य और किस प्रकार के बैल से खेती जोतनी चाहिये उसका वर्णन किया गया है (३-६)। गोमाहात्म्य और गो के पालन करने का माहात्म्य तथा गोमूत्र पान करने का माहात्म्य और दुर्बल, बीमार गाय को दुहने का पाप और गोदान का माहात्म्य, गौ के अङ्ग प्रत्यङ्ग में देवताओं का निवास बताया गया है (७-४३)। यस्याः शिरसि ब्रह्माऽऽस्ते स्कन्धदेशे शिवः स्थितः। पृष्ठे नारायणस्तस्थौ श्रुतयश्चरणेषु च ॥ या अन्या देवताः काश्चित्तस्या लोमसुताःस्थिताः । सर्वदेवमया गावस्तुष्येत्तद्भक्तितो हरिः॥
स्पृष्टाश्च गावः शमयन्ति पापं, संसेविताश्चोपनयन्ति विचम् । ता एव दत्तास्त्रिदिवं नयन्ति, गोभिनतुल्यं धनमस्ति किञ्चित् ।।