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________________ अध्याय [ २१ ] प्रधानविषय पृष्ठाङ्क २ आचारधर्मवर्णनम् । ६८८ चारों वर्गों का धर्मपालन में आचार बतलाया है। ब्राह्मण को यज्ञावशेष वृत्ति की प्रशंसा की है (१-३)। व्यासजी ने पराशरजी से पूछा कि कौन-कौन कर्म हैं जो प्रत्येक वर्गों को कलियुग में करने चाहिये तथा उनकी विधि क्या होनी चाहिये (४)। २ नित्य षट्कर्म वर्णनम्, सन्ध्याकृत्य वर्णनम्, सदाचार कृत्यवर्णनम् । ६८६ "कर्मषट्कं प्रवक्ष्यामि, यत्कुर्वन्तो द्विजातयः । गृहस्था अपि मुच्यन्ते संसारै बन्धहेतुभिः" ॥ इस प्रकार कहकर संध्या, स्नान, जप, देवताओं का पूजन, वैश्वदेव कर्म, आतिथ्य इन षट्कर्मों को नित्यप्रति करने का आदेश देकर संध्या वर्णन किया (५-८५)। २ आचारवर्णनम् । ६६८ सात प्रकार के स्नान का वर्णन किया गया है-मंत्रस्नान, पार्थिव स्नान, वायव्य स्नान, दिव्यस्नान, वारुणस्नान, मानसस्नान तथा आग्नेयस्नान ये सात प्रकार के स्नान, इनके मन्त्र फल सहित बताकर प्रातःस्नान का सब
SR No.032668
Book TitleSmruti Sandarbh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaharshi
PublisherNag Publishers
Publication Year1988
Total Pages696
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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