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अध्याय
[ ३६ ] प्रधानविषय
पृष्ठाङ्क २ सर्वपाप विमुक्तिः, गायत्रीमन्त्रवर्णनञ्च ३३८
मन, वाणी और कर्म से किये हुए पापों की मुक्ति (१-३)। कुष्माण्डसूक्त आदि से पापों का शोधन (४-६)। अघमर्षण सूक्त से स्नान (८)। उपांशु जप माहात्म्य (१०-११)।
गायत्री जप माहात्म्य (१२-१६) । ३ पूर्वाध्यायरूपं, सर्वपाप प्रायश्चित्तम् ३३६
वेदाभ्यास का माहात्म्य (१-६)। पुराण, इतिहास का माहात्म्य (७-८)। शतरुद्री आदि सूक्तों का माहात्म्य (8-१५)। दान माहात्म्य (१६-१७)। सुवर्ण, तिलादि दान माहात्म्य (१८-२३)। ४ रहस्यपाप प्रायश्चित्तमगम्यागमन प्रायश्चित्तञ्च ३४२
रहस्य पापों का प्रक्षालन ( १-१०)। ५ विविध प्रकरण वर्णनम्
३४४ भोजन के समय मण्डल का विधान (१-३)। अन्न देने के अधिकारियों का वर्णन (४)। भोज्यान के भिन्नभिन्न अधिकारियों का वर्णन (५-१७ )। भोजन और जलपान का नियम (२०-२३)। भोजन के समय पाद