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# वर्धमानसूरि ने देहली के सोनीगरा चौहान राजा का पुत्र वोहिथ के सांप का विष उतार जैन बनाया संचेती गौत्र स्थापित किया ।
कसौटी - अव्वल तो देहली पर उस समय चौहानों का - राज ही नहीं था दूसरा चौहानों में उस समय सोनीगरा शाखा भी नहीं थी इतिहास कहता है कि नाडोल का राव कीर्तिपाल वि सं १२३६ में जालौर का राज अपने अधिकार में कर
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वहाँ की सोनीगरी पहाड़ी पर किल्ला बनाना आरम्भ किया उसके - बाद आपके उत्तराधिकारी संग्रामसिंह ने उस किल्ला को पूरा - करवाया जब से जालौर के चौहान सौनीगरा कहलाया जब चौहानों में सोनीगरा शाखा ही १२३६ के बाद में पैदा हुई तो १०२६ में देहली पर सोनीगरों का राज लिख मारना यह बिल - कुल मिथ्या गप्प नहीं तो और क्या है ।
इनके अलावा भी खरतरों ने जितनी जातियों को खरतर होना लिखा है वह सब के सब कल्पित गप्पें लिख कर विचारे भद्रिक लोगों को बड़ा भारी धोखा दिया है । इसके लिये 'जैन जाति निर्णय' देखना चाहिये ।
प्यारे खरतरों । न तो पूर्वोक्त जातियों एवं ओसवालों के लाटाओं के गाढ़े तुम्हारे वहाँ उतरेगा और न किसी दूसरों के वहाँ । जिस २ जातियों के जैसे - जैसे संस्कार जम गये हैं वह उसी प्रकार बरत रही हैं कई लिखे पढ़े लोग निर्णय कर सत्य का त्याग कर सत्य स्वीकार कर रहे हैं। इस हालत में इस प्रकार गप्पें लिखकर प्राचीन इतिहास का खून करने में तुमको क्या लाभ है स्मरण में रहे, अब अन्ध विश्वास का जमाना नहीं रहा है । यदि तुम्हारे अन्दर थोड़ा भी सत्यता का अंश हो तो मैंने जो नमूनाके