________________
( ३१ )
रख कर शान्ति के साथ शासन सेवा या स्व-पर-कल्याण का संपादन करते होंगे । कारण एकान्त वाद तो किसी समय हो ही नहीं सकता है पर जिस बात को लक्ष्य में रख कर लेख लिखा जाता है मुख्यता में वही बात उस लेख में संनिविष्ट हो जाया करती है। ____अन्त में हम फिर यह निवेदन करने हुए क्षमा याचना करते हैं कि यह लेख हमने न तो किसी को नीचा दिखाने की नियत से लिखा है और न हम खुद ही कुछ करने काबिल हैं कि जो ऐसे लिख कर अपनी योग्यता दिखावे । परन्तु हम जब कभी एकान्त निवृत्ति स्थान में वैटते हैं और शासन की पतित दशा का सिंहाऽव लोकन करते हैं तब चित्त अत्यन्त व्याकुल हो जाता है कि यदि मेरेपास कोई साधन होता तो मैं यथासाध्य शासन की सेवा करता पर क्या किया जाया जहाँ करने की इच्छा रहती है वहां तो साधनों का अभाव है और जिनके पास सब तरह के साधन है वहां कुछ करने को नहीं है । इस हालत में अपनी आत्म के उज्वल विचारों को सबके समक्ष रखने को केवल लेखनी द्वारा लिख कर कुछ कुछ समय के लए अपने संतप्त चित्त को शान्त किया जाता है इसके अतिरिक्त और कोई भी उपाय नहीं है।
शेष में हम पुनः उन महानुभावों से जिनके कि आराम प्रिय आत्माओं पर इस उद्बोधक लेखसे ठेस पहुँची हो उनसे क्षमा भिक्षा मांग अपने इस लेख को समाप्त करते हैं । ता०१-५-३७ ई०
संघ चरणरंज प्राचीन तीर्थ श्रीकापरडाजी
ज्ञानसुन्दर