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________________ SIONav= EDITORIEWSear===NSarasv== भाप पड़ो, मित्रों को पढ़ानो और ज्ञान प्रचार करो. ऐतिहासक महा पुरुष वीरवर "समरसिंह" जिसको पढ़ने से आपको अनेक ऐतिहासिक घटनाओं में ! के साथ २ ओसवाल जातिकी उत्पत्ति और उन्नति का ज्ञान || 8 सहज ही में हो जायगा । हिन्दी संसार के लिये यह दलदार। 8 सचित्र अपूर्व प्रन्थ है। बढ़िया कागज, सुन्दर छपाई पृष्ट ३०० चित्र १० होने पर भी मूल्य १।। ॥ जैन जाति महोदय ( सचित्र ) इसमें केवल जैन , जातियों का ही नहीं पर जैन धर्म का सच्चा इतिहास वडे ही शोध खोज और परिश्रम कर तैयार करवाया है पृष्ट १०५० || चित्र ४१ रेशमी जिल्द होनेपर भी ज्ञान प्रचारार्थ मूल्य मात्र रु०४) शीघ्रबोध भाग १ से २५ जिसमें जैनशास्त्रों का तत्वज्ञान और बारह सूत्रों का हिंदी भाषांतर है मूल्य रू. ६) कायापुर पट्टन का पत्र. यह आत्मकल्यान के लिये। ॥ सुन्दर साधन है । मूल्य तीन पैसा १०० नकलों के रु० ४) । जड़ चैतन्य का सम्बाद. यह कविता जैसी मनोरंजक है ! वैसी बोधदायक भी हैं पृष्ट संख्या ६४ होनेपर भी मूल्य ) पूर्वोक्त पुस्तकें मंगाने वालों को तीन पुस्तकें भेट मिलेगी। ॥ अन्य पुस्तकों के लिये । पता-ऐम. श्रीपाल एण्ड कम्पनी, .. सूचीपत्र तैयार है ११-८-३१ जोधपुर-राजपूताना, ! BSiconaćicaBaDICIBGESIESIS biasis IBENENINGarcinia Pue CDISABIGieses
SR No.032646
Book TitlePrachin Tirth Kapardaji ka Sachitra Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1932
Total Pages74
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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