SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६१० ४३-संस्था का नाम यगमेन्स ऐसोसियेशन की जगह भारत जैन महा मंडल- रखा गया। अंग्रेजी भाषा में All-India Jain ___ Association कहा जायगा।। ४४-हस्तिनापुर ऋषभ ब्रह्मचर्याश्रम की स्थापना का निश्चय । - १९११ ४५-दस्सा-प्रचाल-पूजा-अधिकार का श्रान्दोलन । १९१३ ४६-श्रीमती मगनबाईजी को "जैन महिला रत्न" की पदवी भेंट की .... गई। .४७-झस्टर हरमन जैकोवी को "जैन दर्शन दिवाकर" पद से विभूषित किया गया । ४८-डाक्टर सतीशचन्द्र विद्याभूषण को "सिद्धान्त महोदधि" उपाधि से सम्मानित किया गया। .४९-राय बहादुर सेठ कल्याण मलजी इन्दौर को "दानवीर" पद अर्पित किया गया। . ५०- ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी का सम्मान उनको “जैन धर्म भूषण" की उपाधि से बाद जग-केसरी पंडित गोपालदास बरैया द्वारा किया गया। ५१-सिद्धान्त भवन श्रारा के जैन पुरातख सूचक वस्तुओं की प्रदशिनी। १६१५ . ५२-श्वेताम्बर-दिगम्बर-स्थानक-वासी सभी सम्प्रदाय के जैनों ने बम्बई नगर में ख्याति प्राप्त डाक्टर खुशालभाई। शाह के सभापतित्व में, साम्प्रदायिक भेदभाव को गौण करके, मिलजुल कर काम किया। ... ५३-महात्मा गांधी बम्बई अधिवेशन में पधारे ।
SR No.032645
Book TitleBharat Jain Mahamandal ka 1899 Se 1947 Tak ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjit Prasad
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1947
Total Pages108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy