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________________ ( २५ ) नहीं । उन्होंने कुछ शर्तियां भी लिख भेजी जो परिशिष्ट नं. ३ में दी गई हैं। ___ उधर लाला श्यामचन्द्र जी ने पुस्तक-प्रकाशकों से मिलकर उनसे यही बात कही कि वे अपने इस लेख को निकालकर दूसरा शुद्ध लेख देदें। हमें प्रसन्ता है कि वे इस अपने प्रयत्न में सफल हुये और प्रकाशक महानुभाव ने इसे सहर्ष स्वीकार कर अपनो सौजन्यता का प्रमाण दिया। इधर ला० श्यामचन्द जी और उनके परममित्र ला० परमानन्द जी सेठ एम० ए० इनकम टैक्स अफसर-जालन्धर ने नया लेख तैयार किया। उधर से पञ्जाव के शिक्षाविभाग के डाईरैक्टर का भी उत्तर आगया। जिसमें उन्होंने स्कूलों को तो यह आज्ञादी कि वह लेख्न न पढ़ाया जाय और पुस्तक प्रकाशकों को लिखा कि वे अपने इसलेख को “श्री आत्मानन्द जैन सभा ( अम्बाला शहर )" के पत्रानुसार शुद्ध करें। और पुस्तक में छापने से पहले टैक्स्टबुक कमेटी से स्वीकृत कराले। ( देखें परिशिष्ट ४, ५) । अतः वह लेख लाला शामचन्द्र जी ने प्रकाशकों को दे दिया। उन्होंने लेखक से अनुमति लेकर टेक्स्ट बुक कमेटी में और कमेटी के मन्त्री ने इमारे पास इस अभिप्राय से भेज दिया कि हम उसे अच्छी तरह देख ले और अब भी यदि परिवर्तन किसी की आवश्यकता हो तो करा लें।
SR No.032644
Book TitleBharatvarsh ka Itihas aur Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagmalla Jain
PublisherShree Sangh Patna
Publication Year1928
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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