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सामने रखा जा सकता है जिसके अभाव के कारण भारतीय इतिहास की रूप रेखा अभी तक सर्वांशतः स्पष्ट नहीं हो सकी। हमारा विश्वास है कि 'अयोध्या का इतिहास” पुस्तक के लेखक उत्तरोत्तर अपने विषय की खोज करते रहेंगे जिससे एक बहुत बड़े प्रभाव के पूर्ण होने की पूरी सम्भावना है।
संस्कृत कार्यालय अयोध्या)
मकर संक्रान्ति . १९४४ विक्रमाब्द)
कमलाकान्त त्रिपाठी
- साहित्यालङ्कार ।