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नगरियों में प्रायः आज कोई बिलकुल जीर्ण भी होगई कितनेक के नाम भी बदल गये हैं तो भी जैनी धनाढ्य लोगोंने वहां जाने वालों के आराम के लिये वहां मंदिर धर्मशाला बना रक्खे थे ।
बौका जोर होने पर बहुत फेर फार हुआ ऐसे ही शंकराचार्य के समय में और मुसलमानों के राज्यमें जैनी मंदिरों का बहुत नुकसान हुआ परंतु जब जैनियों का जोर किंवा पक्ष होता था कि वहां फिर जीर्णोद्धार अर्थात् नये तौर से मंदिर बनाते थे और अपद्रव्य लगाते थे जिससे कोई कोई खास तीर्थ छोड़ कर वस्ती कम होने पर भी वहां जैनी के मंदिर विद्यमान हैं ।
महावीर के समय के जैन राजा
श्रेणिक राजा जो राज ग्रही में राज्य करता था वह परम जैनी था उस के पुत्र के कारण उस का मृत्यु हुआ तो भी वह कोणिक पिता के मरे बाद भी परम जैनी रहा था किन्तु राज्य धानी बदल दी और चंडप्रद्योत वगैरह भी जैनी राजा थे किन्तु महावीर के अंत समय में 8 काशी देश और ६ कोशल (अयोध्या) के राजा उपस्थित थे उससे ज्ञात होता है कि वह देश बहुत बड़े थे अथवा छोटे छोटे टुकड़े एक एक राज्य के पड़ गये थे आज भी गुजरात काठियावाड़ में ऐसी अनेक छोटी छोटी रियासतें हैं जिस की गवर्नमेन्ट ने एजन्सि - बनाली हैं ।
महावीर जयंती
अंग्रेजी रीति के अनुसार नये रूप में जयंती का प्रकाश हुआ है किन्तु पूर्व में भी रिवाज था राम नवमी जन्माष्टमी में राम, कृष्ण के लिये उत्सव होता था ऐसे ही जैनियोंमें भीभाद्र