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________________ श्री तीर्थ पावापुरीजी का प्राचीन इतिहास श्री तीर्थ पावापुरौ के नाम से जैन समाज सुपरिचित हैं। आज २४५६ वर्ष हुए कि अपने शासन नायक अन्तिम तीर्थंकर श्री वर्धमान खामी इसी पावापुरी में पसंख्य जीवों को उपदेश देते हुए पौगलिक देह त्याग कर निर्वाण प्राप्त हुए थे। बिहार-उड़ीसा प्रान्त के बिहार-शरीफ शहर से सात माईल दक्षिण की भोर यह पवित्र स्थान अवस्थित है। वर्तमान समय इस पावापुरी ग्राम की आबादी लगभग तीन सौ घर को है जिनमें भूमिहार ब्राह्मणों को ही अधिक संख्या है। ____जैनागम से ज्ञात होता है कि उस समय पावापुरी (प्राचीन-अपापापुरौ) में हस्तिपाल नामक सामन्त राजा वहां राज्य करते थे, और वहां की जीर्ण लेखशाला में भगवान् अन्तिम चातुर्मास ठहरे थे। उस समय उनकी आयु बहत्तर वर्ष की यो। कार्तिक कृष्ण अमावस्या की शेष रावि के समय चरम तीर्थंकर श्री महावीर खामी इस नश्वर कलेवर को त्याग कर इसी पावापुरी में निर्वाण प्राप्त हुए थे। " बैन शास्त्र से पौर भी ज्ञात होता है कि उस समय देवता लोग जो वहां निर्वाक महोत्सव मनाने को पाये थे उन्होंने उसो स्थान में स्मरण चिन्ह रूप एक दिव्य स्तूप स्थापित किये थे, और भगवान् के बड़े भाई श्री नन्दिवाईम राणा
SR No.032640
Book TitlePavapuri Tirth ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year
Total Pages20
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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