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इतिहास में भगवान महावीर का स्थान
महावीर से पूर्व की स्थिति -
दुनियां के इतिहास में ईसा से ६०० वर्ष पहलेका काल आजके काल से बहुत कुछ मिलता जुलता हुआ है, इस लिये उस युग की परिस्थिति, प्रवृति और उनके परिणामोंको अध्ययन करना हमारी अपनी कठिनाइयों को हल करने के लिए बहुत जरूरी है । यह वह जमाना था, जब मानव जीवन मानसिक, धार्मिक और सामाजिक रूढ़ियों से जकड़ा हुआ था । उसके/विकासका स्वाभाविक सोत बहते बहते कर्तव्यविमूढ़ता से रुककर ठहर गया था । वह अनेक देवी देवताओं की पूजा प्रार्थना करते करते अपनी गुलामी से ऊब चुका था और जाती वर्णं तथा धर्मं के नाम पर लड़ते झगड़ते उसका मन थक गया था - | तब आजादी की भावनायें उठ उठ कर उसे वाचाल बना रही थीं। तब उसका मन किसी ऐसे सत्य और हकीकत की तालाश में घूम रहा था, जिसे पाकर वह सहज सिद्ध सुख शान्ति और सुन्दरता का श्राभास कर सके, तब वह किसी ऐसी दुनिया की रचना में लगा था, जहां वह सबके साथ मिल जुल कर सुखका जीवन बिता सके ।
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यह जमाना दुनिया की तवारीख में मानसिक जागृति, धार्मिक क्रान्ति और सामाजिक उथल-पुथल का युग था । उस जमाने ने पूर्व और पश्चिम सभी देशों में अनेक महापुरुषों को जन्म दिया था । तब योरुप में पाईथेगोरस और एशिया में कम्फ्यूसस, लामोत्ज जैसे मामा ने जन्म लिया था । उस समय हिन्दुस्तान में भगवान महावीर श्रम० बुद्ध ने इस जागृति में विशेष भाग लिया था ।