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________________ ( १७ ) वर्द्धमानस्य - महावीर नजिस्य भवन्तीगाथार्थ आसाढ़ गाहा— आषाढशुद्धिषष्टी - आसाढ़ मासशुक्लपक्षेषष्ठीतिस्थिरक दिनं ९ एवं चैत्रमासेतिथेति समुच्चये शुद्ध त्रयोदशेवेति द्वितीयं २ चैवेत्यवधारणे तथा मार्गशीर्ष कृष्णदशमीति तृतीय ३ वैशाख शुक्ल दशमीति चतुर्थ ४ च शब्द समुच्चयार्थ कार्तिक कृष्णेचरमापंचदशीति पंचमं ५ एतानि किमित्यह—– गर्भादिदिनानि ( १ ) गर्भ ( २ ) जन्म ( ३ ) निष्क्रमण ( ४ ) ज्ञान ( ५ ) निर्वाण दिवसा यथाक्रमं क्रमेणैवा । अभयदेवसूरि कृत पंचासक टीका ( प्र० प० पृ० ३३० ) इस टीका में भी भगवान महावीर के पांचकल्याणक की पांच तिथियां अलग अलग लिखी हैं जैसे १ - आषाढ़ शुक्ला ६ को महावीर का चैवन कल्याणक २ - चैत्र शुक्ला १३ को ३ - मार्गशीर्ष कृष्णा १० को "" को को "" ४ - बैशाख शुक्ला १० ५ कार्तिक कृष्णा १५ निर्वाण श्राचार्य हरिभद्रसूरि और अभयदेवसूरि जैसे धुरंधर आचायों के उपरोक्त लेखों से पाठक अच्छी तरह से समझ गये होंगे कि उन्होंने भगवानमहावीर के पांच कल्याणक माने हैं पर जिनवल्लभ के मिथ्यात्व मोहनीय का प्रबलोदय था कि उसने तीर्थङ्कर गणधर और पूर्वाचार्य के वचनों को उस्थाप कर छट्टा गर्भापहारकल्याणक की उत्सूत्र प्ररूपना कर स्वयं और दूसरे "" 93 "" जन्म दीक्षा केवल 99 99 ""
SR No.032637
Book TitleKhartar Matotpatti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala
Publication Year1939
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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