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________________ वर्तमान प्रकरण १२. पेशकार हो गए ; जिस पद पर ये मृत्यु पर्यत रहे । इनका स्वर्गवास ४ जनवरी संवत् १९६१ में, ४७ वर्ष की अवस्था में, हो गया। इन्होंने यावज्जीवन खड़ी-बोली का पद्य में प्रचार करने और छंदों से व्रजभाषा उठा देने का प्रयत्न किया। इस विषय में इन्हें इतनी उत्साह था कि कुछ कहा नहीं जाता । खड़ी-बोली के आंदोलन पर एक भारी लेख भी छपवाकर इन्होंने उसे बेदाम वितरण किया था। उसकी एक प्रति इन्होंने अपने हाथ से हमें भी काशी में सभा के गृहप्रवेशोत्सव में दी थी। जिस लेखक से ये मिलते थे उससे खड़ी-बोली के विषय में भी बातचीत अवश्य करते थे। खड़ी-बोली के प्रचार को ही ये अपना जीवनोद्देश्य समझते थे। ऐसे उत्साही पुरुष बहुत कम देखने में आते हैं। इस विषय पर आपने इंगलैंड में भी एक लेख छपवाया था। संवत् १९३४ में इन्होंने एक हिंदीव्याकरण प्रकाशित किया। इनके अकाल-स्वर्गवास से खड़ी-बोली के आंदोलन को बड़ी क्षति पहुँची । इस आंदोलन को पूर्ण बल के साथ पहलेपहल इन्हीं ने उठाया । आपने इसमें इतना उत्साह दिखाया कि श्रापको देखते ही खड़ी-बोली की याद आ जाती थी। (२१९८) मुंशीराम महात्मा इनका जन्म संवत् १६१५ में हुअा था। श्राप बड़े ही धर्मात्मा पुरुष थे। श्राप गुरुकुल काँगड़ी के अध्यक्ष थे । आपने भारी प्राय की वकालत छोड़कर कोरी को अपनाया और भारत की प्राचीन पठन-पाठन-शैली का सजीव उदाहरण गुरुकुल स्थापित किया। वहाँ महात्मा बनाए जाने को बालक पढ़ाए जाते हैं। आप हिंदी के भी लेखक थे। पं० लेखराम का जीवनचरित्र, आदिम सत्यार्थप्रकाश एवं धर्म-विषयक कई छोटे-छोटे निबध और अपना जीवन वृतांत लिखे हैं। आपका जीवन धन्य था। आर्य-समाज के एक भारी दल के श्राप नेता थे। सद्धर्मप्रचारक-नामक एक भारी पत्र भी
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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