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परिवर्तन-प्रकरण में स्वर्गवासी हुए अर्थात् ७७ वर्ष की आयु भोग
कर मरे। ग्रंथ--(१) हितकल्पद्रुम (संस्कृत हितोपदेश भाषा में किया
है), (२) संग्रामकलाधर (विराटपर्व ), (३) समररत्नाकर (अश्वमेध ), (४) विजयविनोद (करौली के राजा की लड़ाई के विषय में ), (१) मौजप्रकाश,
(६) शिखनख, (७) गंगा भू भागमन । इनकी कविता का नमूना
कवित्त केकी भेकी कठिनहु टीको मरि जैयो शिर,
और परगात जरि जैयो कोकिलान को; केतकी सकुल कुल अनल वितल जैयो,
हूजियो कतल कुल ललित लतान को । भने “रसानँद" यों बीज निरबीज जैयो,
तेज हत विक्रम निगोड़े पंचबान को; पिय रटि-रटि पपिहा को कंठ कटि जैयो,
. यश मिटि जैयो बजमारे बदरान को। नाम-(२१६६) हनुमानदोन मिश्र, राजापुर, जिला बाँदा। ग्रंथ-(१) वाल्मोकाय रामायण, (२) दीपमालिका । जन्मकाल-१८१२। कविताकाल-१९२५। नाम-(२१६६ ) रणमलसिंह राजा साहब । विवरण-झालावाड़ प्रांत में ध्रांगधरा स्थान के झाला राजा साहब
श्रीरणमलसिंह जी अमरसिंह के कुमार थे। अमरसिंह सन् १८४८ में स्वर्गवासी हो गए। पीछे उनके कुमारजी ३२ वर्ष की प्रायु में गद्दी पर बैठे और सन् १८६६ में