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________________ परिवर्तन-प्रकरण .११५३ राजवार्तिकालंकार, (४) रत्नकरंडन्यायदीपिका, (५) तस्वार्थसूत्र की वचनिका। रचनाकाल-१९२० के लगभग । जैन लेखक थे। नाम-(२१.१७ ) बख्तावरमल ( उपनाम रतनलाल) . ग्रंथ-(3) जिनदत्तचरित्र, (२) नेमिनाथपुराण, (३) चंद्रप्रभापुराण, (४) भविष्यदत्तचरित्र, (५) प्रीति करचरित्र, (६) प्रद्युम्नचरित्र, (७) व्रत कथा कोष । रचनाकाल-१९२० के लगभग । जैन कवि थे। नाम-(२०१७) शिवचंद्र ।। ग्रंथ-(१) नीतिवाक्यामृत, (२) प्रश्नोत्तरश्रावकाचार, (३) तरवार्थसूत्र की वचनिकाएँ। रचनाकाल-१९२० अंदाज़ी। जैन कवि थे। नाम-(२११७) शिवजीलाल, जयपूरवासी। ग्रंथ-(१) रत्नकरंड, (२) चर्चासंग्रह, (३) बोधसार, (४) दर्शनसार, (१) अध्यात्मतरंगिणी। रचनाकाल-१९२० अंदाज़ी । नाम-(२११८) ब्रजचंद जन । ग्रंथ-श्रीरामलीला कौमुदी। जन्मकाल-१८६० । कविताकाल-१९२० से १९६० तक । विवरण-इनका यह ग्रंथ वार्तिक है और कहीं-कहीं इसमें छंद भी हैं। ७० बड़े पृष्ठों का व्रजभाषा का ग्रंथ है। साधारण श्रेणी के कवि थे । ग्रंथ हमने छतरपुर में देखा है। नाम-(२११८ ) स्वरूपचंद जैन। ग्रंथ-(.) मदनपराजयवचनिका, (२) त्रैलोक्यसार ।
SR No.032634
Book TitleMishrabandhu Vinod Athva Hindi Sahitya ka Itihas tatha Kavi Kirtan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshbihari Mishra
PublisherGanga Pustakmala Karyalay
Publication Year1929
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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