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________________ ( ५२ ) राज्यशक्ति पर अधिकार कर लिया। निश्चय ही पुष्यमित्र ने यह सब एकाएक नहीं कर लिया होगा। निश्चय ही इसके पीछे कुछ सोच विचार और षड्यन्त्र भी रहा होगा। बहुत सम्भव है कि इस षड्यन्त्र के केन्द्र में स्वयं पतंजलि रहे हों, जिस प्रकार नन्दों के नाश में चाणक्य । पर सेना और प्रजा का इस राज-हत्या को चुपचाप सह जाना क्या यह भी सिद्ध नहीं करता है कि प्रजा कायर और ढोंगी मौर्य शासन से मुक्ति चाहती थी? : मगध में श्रमण-ब्राह्मण घात-प्रतिघात . पार्श्वनाथ से पूर्व, अर्थात् ई० पू०८०० से पहले ही मगध में श्रमणसंस्कृति का विकास हुअा था । महावीर पार्श्वनाथ की परम्परा में ही हुए। बुद्ध भी श्रमण संस्कृति के ही विकसित सुमन थे । बुद्ध और महावीर दोनों का विकास मगध में ही हुआ था। मगध साम्राज्य का उदय बिम्बिसार से प्रारम्भ हुआ। कुछ लोग उसे जैन कहते हैं, पर वह बुद्ध के प्रति भी श्रद्धा रखता था । बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य को पल्लवित किया । वह बौद्ध था। सम्भवतः नन्द जैन था । पर उसका मन्त्री जिसे 'मुद्राराक्षस' के रचयिता ने 'राक्षस' कहा है, ब्राह्मण था। बहुत सम्भव है इस ब्राह्मण मन्त्री ने खूब समझ-बूझकर नन्दों को नीति को सर्वत्रान्तक बनाया-शद्र द्वारा वेद विरोधी क्षत्रियों का नाश करवाया; पर शायद अपनी नीति में वह सीमा का अतिक्रमण कर गया। सम्भवतः इसीलिए एक और ब्राह्मण राजनीतिज्ञ सामने आया । उसने क्षत्रिय को गोद में उठा लिया। प्रसिद्ध है चाणक्य चन्द्रगुप्त को गोद में लेकर पाया। उसने सर्वक्षत्रान्तक शूद्र नन्दों का नाश करके मगध में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की । चाणक्य ने शूद्र सर्वक्षत्रान्तक और वेद निन्दक नन्दों का नाश तो किया, पर जैनों और बौद्धों के विरुद्ध उसने कुछ न कहा, कुछ न किया । बहुत सम्भव है उस समय जैन और बौद्ध धर्म सामाजिक दृष्टि से पतित नहीं हुए थे। इसीलिए ब्राह्मण चाणक्य ने चुपचाप सह
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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