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________________ शत्रु से लड़ने में जैसी वीरता आवश्यक है, धार्मिक सुधार में उससे ज्यादा वीरता की जरूरत पड़ती है। अशोक महावीर था, उसका साम्राज्य सुविस्तृत था, उसका चित्त साधु था और उसका हृदय भी विशाल था। उसके हृदय में मानव मात्र के लिये ही नहीं, प्राणिमात्र के लिये करुणा थी। उसने मनुष्यों का ही नहीं पशुत्रों का भी ध्यान रखा। मनुष्य की चिकित्सा तो किसी न किसी रूप में होती श्राई थी। परन्तु पशुओं की चिकित्सा पर उससे पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया था। अशोक की उदारता मनुष्य जगत को लांघ कर, मूक पशुजगत में भी चली गयी। उसने देश-विदेश में जो औषधालय खोले, उसमें मूक और रुग्ण पशुओं का भी प्रबन्ध किया। अपने ही साम्राज्य में नहीं, उसके बाहर दक्षिण के स्वतन्त्र राज्यों और यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका के ग्रीक राज्यों में सर्वत्र उसने मानव" और पशु चिकित्सा की योजना की। जहां जहाँ चिकित्सा सम्बन्धी औषधियाँ न थीं, वहाँ अन्य स्थानों से जड़ी बूटी के बीज और कलम मंगाकर लगाए गए । चोल, पाण्ड्य, सतियपुत्र और केरलपुत्र (सम्भवतः, सिंहल भी), सीरिया का अंतियोक (अन्तियोकस द्वितीय महान २६१-. ४७ ई० पू०), मिस्र का तुरभाया (तालेमी द्वितीय फ़ाइलाडेल्फस् २८५ ४६ ई० पू०), मकदूनिया का अंतेकिन (ऐन्तिगोनस गोनेतस् २७८-३६ ई० पू०), साइरित का मग (मेगस् ३००-२५८ ई० पू०) और एपिरस का अलिकसुदरों (अलेग्जेन्डर २७२-५८ ई० पू०) आदि द्वारा अन्य देशों में अशोक ने मनुष्यों और पशुओं के रोग-मोचन का प्रयत्न किया। बौद्ध धर्म की तीसरी संगीति बौद्धों की संगीति एक प्रकार की बौद्धसंघ की असाधारण बैठक थी, जो बहुत महत्व के निर्णयों के लिये हुश्रा करती थी। बुद्ध के निर्वाण' से अशोक के पहले तक केवल दो बार संगीति बुलाई गयी थी। अशोक के समय तक बौद्धधर्म में अनेक सम्प्रदाय और मतमता तर बन गये थे,
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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