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________________ ( ४१ ) सारभूत तत्वों की वृद्धि से बढ़कर अन्य कोई दान नहीं है। सभी सम्प्रदायों का श्रादर करना चाहिए । बहुश्रुतता बहुत बड़ा गुणा है। आदमी में जक्र बहुश्रुतता होगी तो वह दूसरों का आदर कर सकेगा । इसीलिए उसने बहुश्रुतता पर जोर दिया । स्वयं अशोक ने सारे सम्प्रदायों का श्रादर किया । श्राजीविकों के लिए दरी-गृह खुदवाए, ब्राह्मणों, श्रमणों, निर्ग्रन्थों आदि सभी के साथ - समान और श्रद्धापूर्ण श्राचरण किया । उसने कहा कि चूँकि सारे धर्म संयम और चित्तशुद्धि पर जोर देते हैं, इसलिए सभी में सद्भावना होनी चाहिए । पर फिर भी वह बौद्ध था । उसका विशेष झुकाव बौद्ध धर्म की ओर ही था । अशोक के धार्मिक कार्य अशोक दृढ़ चरित्र और महावीर था । धर्म विजय में भी उसकी नीति में वीरता थी । उस काल में धर्म के नाम पर नाना प्रकार की रूढ़ियों का प्रचलन था । समाज में सनातन ब्राह्मण धर्म का जोर था । जाती थी । अशोक को प्राधि उसने दृढ़तापूर्वक सारे यज्ञानुष्ठानों यज्ञों और पूजाश्रों में पशुबलि दी अनुचित और धर्म मालूम हुआ । । में प्राणिवध को अपनी श्राज्ञा द्वारा रोक दिया। आज के इस प्रगतिशील युग में हिन्दूकोडविल के बहस हो रही है । पर अशोक कायर नीतिज्ञों की था, बलाबल देखकर चलता था। जिसे सही समझता था, उस पर स्वयं भी चलता था और अपनी प्रजा को भी चलाता था उसने धर्म की दिशा में ब्राह्मण धर्म की ही अनुचित बातों का विरोध नहीं किया । बौद्धधर्म के दोषों का भी दृढ़तापूर्वक विरोध किया । उसने बौद्धधर्म की तीसरी संगीति बुलाई। बौद्धधर्म के निश्चित रूप को निर्धारित कराया । और बौद्ध संघ में जो ढोंगी-पाखण्डी भिक्षु घुस गये थे, पीलावस्त्र पहनकर जो मजे में हा पूड़ी उड़ा रहे थे, कहा जाता है कि ऐसे साठ हजार भिक्षुत्रों का वस्त्र छीनकर उन्हें संघ से निकलवा दिया । युद्ध में हथियारों से लैस सम्बन्ध में वर्षों से भांति बहसी नहीं
SR No.032629
Book TitleMagadh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaijnath Sinh
PublisherJain Sanskruti Sanshodhan Mandal
Publication Year1954
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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