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________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/ 25 पेशेवर शिक्षकों (वृत्तिक शिक्षकों) में सबसे अधिक प्रतिभाशाली एवं प्रभावशील ऐव्हेरा के प्रोटोगोरस हैं। प्रोटागोरस __ प्रोटागोरस के दार्शनिक विचारकों की चर्चा हमने अभी की है यह सम्भव है कि व्याख्याओं के द्वारा सद्गुणों का प्रशिक्षण देने का मूल विचार इस तेजस्वी एवं साहसी चिंतक के द्वारा प्रस्तुत किया गया हों। यह भी माना जा सकता है कि प्रोटागोरस भी सुकरात के समान ही तत्कालीन सत्ता मीमांसात्मक चिंतन के प्रति अपने निषेधात्मक दृष्टिकोण के कारण मानवीय आचरण के अध्ययन की ओर झुके हो। प्रोटागोरस, प्रोडिक्स, हिप्पीजस तथा सोफि स्ट विचारकों के द्वारा प्रदत्त प्रशिक्षण किसी दार्शनिक सिद्धांत पर आधारित था, ऐसा प्रतीत नहीं होता है, फिर भी किसी दार्शनिक विषय की अपेक्षा अधिक लोकप्रिय था। उसमें यह परिलक्षित होता था कि सुख की प्राप्ति तथा दुःख से बचने के साधन के रूप में संसार में सफलता प्राप्त करने की कला को किसी रूप में सार्वजनिक प्रशासन की कला के साथ मिला दिया गया था। इसी प्रकार विभिन्न सद्गुणों की प्रशंसनीय अभिव्यक्ति को सद्गुणों के तर्कसंगत औचित्य स्थापन के साथ सम्मिलित कर दिया था। इस अंतिम बात का सबसे अच्छा उदाहरण प्रोडीक्स द्वारा प्रस्तुत हरक्यूलस की पसंदगी' नामक लोक कथा में मिलता है। सोफिस्ट विचारकों की शिक्षाओं का स्थान कितना ही साधारण क्यों न रहा हो, एक नई सामाजिक आवश्यकता की पूर्ति के लिए इस नए कार्य या व्यवसाय का उद्भव बहुत ही महत्वपूर्ण है। उनके कार्य की मौलिकता को और उन कार्यों से उत्पन्न सामाजिक प्रभाव को समझने के लिए हमें उस युग की ऐसी कलाकृतियों को समझना होगा, जो उनके चिंतन से प्रेरित एवं विकसित हुई थी और जो विश्व का आश्चर्य बनकर रही है, किंतु यह सभी नैतिकता के संस्थागत या राज्यस्तरीय प्रशिक्षण के अभाव में ही हुआ। वह समाज एक ऐसा समाज था, जिसमें 'होमर' के महाकाव्य ने 'बाइबिल' का स्थान ले लिया था। यद्यपि होमर ने अपने महाकाव्य में बाइबिल के दस धर्मादेशों जैसी कोई बात नहीं की है, फिर भी वह विभिन्न प्रकार की मानवीय अच्छाइयों एवं बुराइयों के सम्बंध में प्रभावशाली विचार प्रस्तुत करता है तथा चरित्र के उन लक्षणों का विवरण देता है, जो पसंदगी या घृणा के उद्गारों का कारण होते हैं। होमर के इलियट नामक महाकाव्य के उस युग में ग्रीक नगर राज्यों में एक कर्मठ एवं
SR No.032622
Book TitleNitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHenri Sizvik
PublisherPrachya Vidyapeeth
Publication Year2017
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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