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सिद्धांत महोदधिपू. आ. प्रेमसूरिजी म.
१६-११-२०००, शुक्रवार
मृग. व. - ६
* सुबह आरीसाभुवनमें १०० प्रतिमाओं की अंजनशलाकाप्रतिष्ठा ।
* सुबह ९.०० से १.०० अंकिबाई धर्मशालामें पू. प्रेमसूरिजी की संयम-शताब्दी के निमित्त पू. आचार्यश्री की गुणानुवाद-सभा ।
शत सहस लख ने, कोटि कोटि वार हुं वंदन करूं, तारक परमगुरु वीरना वारस,
तने ध्याने धरूं, जे पाट श्री छोत्तेरमी, सुविशुद्ध धर मंगल-करूं, सूरि प्रेम पावन चरणमां,
नत मस्तके वंदन करूं । * पूज्य गणिश्री मुनिचंद्रविजयजी :
सूरि प्रेम वंदनावली छत्रीसी के रचयिता हैं : पूज्य आचार्यश्री जगवल्लभसूरिजी महाराज । शासन प्रभावकता के साथ कवित्व-शक्ति भी पूज्यश्री को मिली हैं । जो विरल व्यक्ति को ही मिलती हैं । (२८४ 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 6 666666666 कहे कलापूर्णसूरि - ४)