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________________ धर्म निरपेक्ष सरकार के पापपूर्ण पैसों को प्राप्त करने के लिए आप लघुमती में जायेंगे ? मैं तो ऐसी कल्पना नहीं कर सकता । जैन धनाढ्य समाज है। केवल जैन अगर निर्णय करें तो भारत को कर्जे से मुक्त करा सकते है । कश्मीर, असम टूट रहे है । झारखंड इसाईओं का, छत्तीसगढ आदिवासीओं का बना है । यह सब क्या है ? - आप लघुमती अगर बनेंगे तो गोभक्षक, मंदिरभंजक मुस्लीमों के साथ बैठना पड़ेगा । पूज्य हेमचन्द्रसागरसूरिजी : इसी विचार को लेकर हम सभी आचार्यों ने चार वर्ष पूर्व निर्णय किया कि हिन्दुओं के साथ ही रहना है । उस वक्त श्रावकों का विरोध भी था । लेकिन चार वर्ष के बाद हम स्वयं अपने आप को असहाय महसुस कर रहे है। राणकपुर, पालिताणा में मूर्तियां टूटी । बद्रिनाथ में हमारे विद्वान मुनिश्री जम्बूविजयजी चिंतित है । अब क्या करना ? आचार्य धर्मेन्द्रजी : हमने पहले ही कहा : हम हिन्दुओंमें यह फूट ही है । १८ आचार्य यहां एक साथ देखकर आश्चर्य चकित हुआ हूँ। विराटनगर (जयपुर के पास) में (जहाँ औरंगझेब ने मंदिर तोड़ा था) दिगंबर श्वेतांबर जैनों में बड़ी फूट मैं देख रहा था । मैं तीन निर्जल उपवास करके उसके विरोध में बैठ गया । जहाँ देवराणीजेठानी है, वहा भरत-राम जैसे संबंध नहीं देखने मिलेगा। वस्त्र में जू पड़ी है तो वस्त्र को हम फेंक नहीं सकते । अगर हिन्दुओं मे फूट है तो हम उनका त्याग नहीं कर सकते । यह हमारा आपसी पारिवारिक सवाल है । सब से प्रथम यह शब्द ही गलत है : 'हम हिन्दुओं के साथ रहना चाहते है।' अलग हो वही साथ रह सकता है। लेकिन यहां अलग कौन है ? यह पूरा महाद्वीप भगवान ऋषभदेव का ही परिवार है। ___ हम हिन्दुओं में भी कितने नये-नये पंथ निकल रहे है ? आनंद मार्ग, बालयोगी, जय गुरुदेव, ब्रह्माकुमारी आदि इसके नमूने हैं । (२४८wwmommonommomooooom कहे कलापूर्णसूरि - ४)
SR No.032620
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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