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________________ एक हो गई । कृष्ण को ही माननेवाली यादव जातियां भी एक हो गई । जाट, यादव, केवट, गूजर, सब एक हो गये । धर्म जोड़ता है, स्वार्थ तोड़ता है। इस चीज को वेटिकन चर्च समझती है इसलिए ही हमें भड़काती है। सर्व प्रथम शीख, बौद्ध, आर्य समाजी आदि को वे हिन्दु नहीं है - ऐसा समझाते है । 'गर्व से कहो : हम हिन्दु है ।' ऐसा नारा देनेवाले विवेकानंद के अनुयायीओं ने भी सरकारी लघुमती लाभ प्राप्त करने के लिए याचिका दायर की है। कहां फरियाद करें ? पूरा आकाश ही टूटा है । भगवान रामचन्द्र की परंपरा में नाथों की परंपरा थी । उसमें बालानंदी साधु टिके । उस समय विष्णु मंदिर में कोई दीपक तक जलानेवाला नहीं था । वे इतने कट्टर रामपंथी थे कि विष्णु मंदिर में दिया भी नहीं जलाते थे । ऐसी फूट पंचम काल में पड़ती है । हमारी (हिन्दुओंकी) यह निर्बलता है। उस निर्बलता को लेकर वेटिकन हमको ज्यादा निर्बल बनाने में और हमको पूर्णरूप से तोड़ने में लगी है । संस्कारों को नष्ट करने का षड्यंत्र चलता है। आज कन्नड़, तमिल आदि कहने लगे है : हम हिन्दु नहीं है । धार्मिक रीतिरिवाज भिन्न होने पर भी हमने कभी इस प्रकार के अलगाव को पुष्ट नहीं किया । हम धर्मनिष्ठ है, सांप्रदायिक नहीं । सर्वोदय के नेता राधाकृष्ण बजाज ने कहा : 'हम जीये । सब जीओ' वह हिन्दु है । जो कहता है : ‘में ही जीऊं, दूसरा कोई नहीं ।' वह अहिन्दु है । पूरा अहिन्दु समाज हिंसा में विश्वास करता है । हमारी सह-अस्तित्व की संस्कृति है । हमारे यहां लघुमती का जो बुखार है, उसे मैं कहने के लिए आया हूं । संसार में इस्लाम और ख्रिस्ती को चेलेन्ज देनेवाला सिर्फ हिन्दु समाज है । सबसे प्रथम झहर दिया, मेकोले ने । जिसने कहा : हम आर्य बाहर से आये है । वह यह कहना चाहता था : _ 'तुम और हम चौर है। तुम सिनियर चोर हो और हम जुनियर (२४६ wwwwwwwwwwwwwwmom कहे कलापूर्णसूरि - ४)
SR No.032620
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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