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DAMAGRA
N ESHABAR
MASSETASE
वि.सं. २०५०, मद्रास
३-११-२०००, शुक्रवार
कार्तिक शुक्ला - ७
(२३) धम्मसारहीणं ।
* भगवानने चतुर्विध संघ द्वारा समग्र विश्व का कल्याण हो, सब जीव शासनरसिक बने, वैसी व्यवस्था की हैं ।
भगवान को ऐसी शक्ति मिली हैं, उनके नाममें ऐसी शक्ति हैं, उसका कारण पूर्व-जन्म का बांधा हुआ तीर्थंकर नामकर्म हैं । बड़े अरबोपति सेठ के नाम की भी गुडवील होती ही हैं न ?
अभी हमारे पास भले भगवान नहीं हैं, परंतु भगवान का नाम तो हैं न ? भगवान का नाम हमें छूटसे उपयोग करने मिला वह कम पुण्य हैं ? कोई अरबोपति सेठ भी स्वयं का नाम मुक्तरूप से उपयोग करने की रजा नहीं देता, लेकिन भगवान की ओरसे छूट हैं : सब मेरे नाम का उपयोग कर सकते हैं, मेरा नाम लूट सकते हैं, भगवान स्वयं लूट जाने के लिए तैयार हैं ।
_ 'राम नाम की लूट हैं, लूट सके तो लूट ।'
अजित-शांतिमें भगवान के नाम की महिमा का वर्णन किया हैं । मानतुंगसूरिजी महाराजने भगवान के नाम के आधार पर ही
[कहे कलापूर्णसूरि - ४00amasoomsaas sassasa
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