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________________ वशीकरण के भी चार कारण हैं : (१) विधिसमासादनम् । (२) निरतिचारपालनम् । (३) यथोचितदानम् । (४) दाने च अपेक्षाऽभावः । (१) भगवानने इस तरह विधिपूर्वक धर्म किया हैं । कंपनी को आप वफादार रहो तो कंपनी आपको क्यों छोड़ेगी? धर्म को वफादार रहे हुए भगवान को धर्म कैसे छोड़ेगा ? (२) उत्तम धर्म-प्राप्ति के चार कारण । - (१) क्षायिक धर्म प्राप्ति, (२) परार्थ संपादन, (३) हीन जीवों के उद्धार के लिए भी प्रवृत्ति, (४) तथाभव्यत्व । (३) धर्मफलयोग के चार कारण : सकल सौंदर्य, प्रातिहार्य योग, उदार ऋद्धि का अनुभव, तदाधिपत्य । (४) धर्मघाताभाव : अवन्ध्य - पुण्यबीजत्व - अधिकानुपपत्ति - पापक्षयभाव - अहेतुक विघातासिद्धि । ___'कहे कलापूर्णसूरि' तथा 'कडं कलापूर्णसूरिए' इन' दोनों पुस्तकों की ३-३ नकल मिली हैं । खूब-खूब आनंद हुआ हैं । दृष्टिपात किया । अत्यंत आनंदानुभूतिदायक आलेखन हैं । स्वच्छ + सुगम हैं। कृति अति प्रशंसनीय हैं । और अध्यापन कार्यमें अत्युपयोगी हैं । पुस्तक प्राप्त होते बहुत ही आनंद हुआ हैं । दोनों पुस्तकों की १-१ कोपी मेरे अग्रज पंडितश्री चंद्रकांतभाई और अनुज पंडितश्री राजुभाई को भेज दूंगा । - अरविंदभाई पंडित कहे कलापूर्णसूरि - ४mmonsoomasooooooooom २२३)
SR No.032620
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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