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________________ $2122: ऊटी में पूज्यश्री, वि.सं. २०५३ ६-१०-२०००, शुक्रवार अश्विन शुक्ला - ९ दोपहर ४.०० बजे : पू. देवचंद्रजी की चोवीसी स्तवन ३ * भगवान मोक्ष के कर्ता नहीं हैं तो भगवान के पास मोक्ष की याचना क्यों ? भगवान भले मोक्ष के कर्ता न हो, परंतु मोक्ष के पुष्ट निमित्त जरुर हैं I पू. देवचंद्रजी पुष्ट कारण को ही कर्ता के रूपमें मानकर स्तवन करते हैं । ऐसा उन्होंने ही कहा हैं । हम इसे मात्र उपचार से मानते हैं, यही तकलीफ हैं । उपचार नहीं, यही वास्तविकता हैं । भूख लगी । हमने भोजन ( निमित्त कारण ) किया । हम भोजन को भूलकर स्वयं को प्रधानता दे देते हैं, पर सोचो : भोजन नहीं होता तो हम क्या करते ? प्रभु को संसार का सृष्टिकर्ता भले हम न मानें, पर हमारे मोक्षकर्ता तो हैं ही । हम भी पहले यह औपचारिक रूप से ही मानते थे । पर पू.पं.म. के संसर्ग से ही इस औपचारिकता की मान्यता पूर्ण रूप से नष्ट हुई । ११४ 6000www कहे कलापूर्णसूरि ४
SR No.032620
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 04 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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