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________________ श्राविका के द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में भगवान ने कहा, 'धर्मी लोग जागते अच्छे और अधर्मी सोये अच्छे । हम सोये भले कि जागृत भले ? जागृति दो प्रकार की है - द्रव्य, भाव । शेष समस्त बातें हेमचन्द्रसागरसूरिजी करेंगे । इसी प्रकार से धर्मी बलवान अच्छे, अधर्मी निर्बल अच्छे । अधर्मी के पास बल हो तो दूसरों का नहीं, अपने ही विनाश का कारण बनता है । _ 'इस भगवती में 'तुंगीया' नगरी के श्रावकों का वर्णन 'लद्धट्ठा, गहीअट्ठा' आदि कह कर किया गया है । ४५ आगम सुनने का तो श्रावकों को भी अधिकार है । इसीलिए 'लद्धट्ठा, गहीअट्ठा' श्रावक कहलाये हैं । __यहां बैठे हुए बाल मुनीगण आदि आगमों को कण्ठस्थ करने की प्रतिज्ञा लें तो आनन्द होगा । पूज्य हेमचन्द्रसागरसूरिजी : अस्वस्थता होने पर भी पौने घंटे तक तत्त्व समझाया । पूज्यश्री पक्के व्यापारी हैं । पूज्यश्री फरमाते हैं : साधु-साध्वीजियां एक वर्ष तक आवश्यक एवं दसवैकालिक की सभी टीकाएं आदि पढ़ें । मैं पहले हाथ जोड़ता हूं। मेरे साथ दूसरे कितने हाथ जोड़ेंगे ? पूज्यश्री ने जो कहा वह यदि नहीं भी सुना हो तो उसका सार धुरन्धरविजयजी बतायेंगे । पूज्यश्री धुरन्धरविजयजी : पूज्यश्री की बात थोड़ी याद कर लें । यों भी सुनने के बाद शास्त्र में धारणा की बात है ही । भगवान की वाणी को पुष्करावर्त की उपमा दी गई। पुष्करावर्त में ऐसा गुण हैं कि एक बार वृष्टि होने पर २१ वर्षों तक उपज होती ही रहती है । भगवान ३० वर्ष बोले । उनके दस-ग्यारह हजार दिन होते हैं । उसके प्रभाव से ही भगवान का शासन २१ हजार वर्षों तक चलेगा । कहे कलापूर्णसूरि - ३ 6000wwwwwwwwww ३५५)
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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