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________________ पर आप अमल मत करना । कुछ समय व्यतीत होने देना । आवेश का स्वतः ही शमन हो जायेगा । आवेश के समय किया गया कोई भी निर्णय प्रमाणभूत न गिनें । ऐसा करोगे तो क्रोध को आप निष्फल बना सकेंगे । शास्त्रकार यही कहते हैं - 'कोहं असच्चं कुव्विज्जा ।' ___ क्रोध भले चाहे जितना अजेय माना जाता हो, परन्तु उससे भयभीत न बनें । सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट अजेय गिना जाता था । उसका नाम सुनते ही लोग कांपने लगते थे, फिर भी उसकी भी कोई निर्बल कड़ी थी । शत्रुओं को उसका पता लगा । चलते युद्ध में उन्हें समाचार भेजा गया कि आपकी प्रियतमा की मृत्यु हो गई है । बस ! खूखार नेपोलियन शिथिल हो गया, युद्ध में परास्त हो गया । दुर्जय प्रतीत होते क्रोध को नष्ट करना हो तो क्षमा लाओ। कदापि नहीं हारने वाला क्रोध क्षमा के पास हार जायेगा । वर्तमान में तीन प्रकार के बोर्ड १. ओफिस पर - No admission without Permission २. विद्यालय पर - No admission without Donation. ३. साधना-धाम पर - No admission without Devotion. पांच मुक्ति १. सालोक्य - भगवान के समान लोक की प्राप्ति । २. साटि - भगवान के समान ऐश्वर्य की प्राप्ति । ३. सामीप्य - भगवान के समीप स्थान की प्राप्ति । ४. सारूप्य - भगवान के समान स्वरूप की प्राप्ति । ५. सायुज्य - भगवान में लय की प्राप्ति । - भागवत ३/२९/१३ श SOL ? ସ୍ଥ
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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