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ही उनके कोई शिष्य न हो ।
इस देह को आप जितनी सेवा में लगाओगे, उतनी दवाऐं कम लेनी पडेंगी, डाक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा । सेवा से परिश्रम बढ़ता है । परिश्रम से रोग दूर भागते हैं ।
सेवा से सबसे बड़ा लाभ विषय- कषाय की वृत्ति पर प्रहार होना है | विषय - कषाय की वृत्ति एवं प्रवृत्ति बंध हो उसके लिए ही भगवान की आज्ञा है ।
* आर्त्त ध्यान के समय तिर्यंच गति का, रौद्र ध्यान के समय नरक गति का आयुष्य बंधता है, उसका ध्यान है न ? धर्म- ध्यान से सद्गति और शुक्ल ध्यान से सिद्धि गति प्राप्त होती है ।
इन पांच गतियों में से हमें किस गति में जाना है ? कौन सी टिकिट चाहिये ? पांचो गतियों की टिकिट मैंने बता दी । बिना टिकट यात्रा करने का तो विचार नहीं है न ? यहां पोपाबाई का राज्य नहीं है। बिना टिकिट के यात्रा हो नहीं सकती । पांचवी गति की टिकिट आजकल बन्ध है ।
मानव अगर
बुलाने पर शान्त हो, कहने पर क्षमाशील बने,
प्रसंग पर धैर्यवान बने,
आवश्यकता पड़ने पर विशाल बने,
भूमिका में संयमी बने,
विचार करने पर संस्कारी बने,
औचित्य पर सात्त्विक बने, अधिकार में प्रौढ बने
चारित्र बल में सबका विश्वासपात्र बने, तो जीवन नन्दनवन बने ।
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