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________________ कोई गाली दे तो मुझे क्या ? यह नाम तो मेरी बूआ या गुरुजी ने दिया है, उसके साथ मेरा क्या सम्बन्ध ? ऐसी विचारधारा से हम कितने संक्लेश से बच जायेंगे ? मन में क्रोध, मान बिलकुर आये ही नहीं, ऐसा तो संभव नहीं है । मुझे भी कभी-कभी आ जाता है, परन्तु कम से कम इतना निश्चय करें कि आपका क्रोध या आपका अभिमान वाणी के द्वारा बाहर न आये ।। मन में ही आयेंगे तो केवल आपको ही हानि पहुंचायेगा, परन्तु वचनों में कषाय आयेंगे तो वे अन्य को भी हानि पहुंचायेंगे । हम जल गये तो जल गये, परन्तु दूसरों को क्यों जलायें ? क्षमा शूरवीर की क्षमा सच्ची क्षमा है । कायर की क्षमा मजबूरी (विवशता) है। क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिस के पास गरल हो । उसको क्या ? जो दंतहीन, विषरहित विनीत सरल हो । जहां नहीं सामर्थ्य शोध की, क्षमा वहां निष्फल है । गरल चूंट पी जाने का, मिष है, वाणी का छल है । कहे २wooooooooooooooooo १९३
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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