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________________ लिए पूज्य देवचन्द्रजी के स्तवन आदि साहित्य विशेषतः अवलोकन करने की सलाह है । उदाहरणार्थ - "अज कुल गत केसरी लहेरे, निज पद सिंह निहाल; तिम प्रभु-भक्ते भवि लहेरे, आतम-शक्ति संभाल." सिंह-शिशु को सिंहत्व का स्मरण कौन कराये ? बकरी, भेड़, चरवाहा या सिंह ? मोह चरवाहा है। कर्म भेड़-बकरियां हैं । भगवान सिंह हैं । जिस प्रकार सिंह की गर्जना से बकरे भागते हैं, उस प्रकार आत्मा की गर्जना से कर्म भागते है और भीतर विद्यमान आत्मदेव प्रकट होता है । दीप्रा योग की आठ दृष्टि आठ दृष्टि आठ दोष आठ गुण आठ योग के अंग मित्रा खेद अद्वेष यम तारा उद्वेग जिज्ञासा नियम बला क्षेप शुश्रुषा आसन उत्थान श्रवण प्राणायाम स्थिरा भ्रान्ति बोध प्रत्याहार कान्ता अन्यमुद् मीमांसा धारणा प्रभा रोग प्रतिपत्ति ध्यान परा आसंग प्रवृत्ति समाधि योग की आठ दृष्टि प्राप्त होने पर क्रमशः आठ दोष मिटते हैं । आठ गुण एवं आठ योग के अंग मिलते हैं । - योगदृष्टि समुच्चय ही कहे कलापूर्णसूरि - २00000000000000000 ९१)
SR No.032618
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 02 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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